मतदान के बाद जीत—हार पर नेता कंफ्यूज

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अब दावों से पीछे खिसक रही पार्टियां
कौन बनेगा किंग, फैसला 10 मार्च को

देहरादून। कौन बनेगा किंग और कौन बनेगा किंगमेकर? इस सवाल ने इन दिनों कांग्रेस व भाजपा के नेताओं की नींद हराम कर रखी है। मतदान के बाद अपनी—अपनी जीत को लेकर बड़े—बड़े दावे करने वाले इन नेताओं को अब अपने ही मन को समझाना भारी पड़ रहा है। क्योंकि मतदान के बाद इतने अगर—मगर सामने आ गए हैं कि अब सभी नेता कंफ्यूज नजर आ रहे हैं।
मतदान तक भाजपा के सभी नेताओं द्वारा बड़ी ही मजबूती के साथ अब की बार 60 पार की बात की जा रही थी लेकिन एक सप्ताह बीतते—बीतते अब पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की बातें करते दिख रहे हैं। दरअसल भाजपा नेताओं के रूख में यह बदलाव हर रोज आने वाली भितरघात की खबरों के कारण आया है। अब तक आधा दर्जन से अधिक सीटों पर भितरघात की खबरें आ चुकी हैं। झबरेड़ा विधायक संजीव गुप्ता से शुरू हुआ यह सिलसिला लगातार जारी है। हर रोज एक नया पार्टी प्रत्याशी यह कहता हुआ दिखता है कि उसकी सीट पर भी भितरघात हुआ है अगर उसकी हार होती है तो इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं का उसके खिलाफ रहना ही अहम कारण होगा। भाजपा हाईकमान भी इन खबरों से हैरान—परेशान है लेकिन वह मतगणना से पूर्व अपने किसी नेता पर कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते हैं लेकिन अगर पार्टी की हार होती है तो भाजपा प्रदेश संगठन में बड़ा ऑपरेशन तय माना जा रहा है।
बात अगर कांग्रेस की, की जाए तो उसका भी हाल इससे कुछ अलग नहीं है। भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी के जिन मुद्दों पर उसने चुनाव लड़ा है तथा जिस सरकार की नाकामियों का प्रचार कांग्रेस ने किया था उसका कोई खास प्रभाव मतदाताओं पर नहीं देखा गया। पहाड़ के लोगों ने 2017 के चुनाव की तरह केंद्र सरकार के काम और मोदी के नाम पर वोट डाले हैं। खासकर महिला मतदाताओं पर नरेंद्र मोदी के मैजिक का खासा असर रहा है। भले ही कांग्रेस के लिए भाजपा की भितरघात की खबरें थोड़ी राहत दे सही, लेकिन जिस आम आदमी पार्टी को कांग्रेस भाजपा की बी टीम बताकर वोट कटुवा पार्टी बताती रही है उसके द्वारा भी कांग्रेस को डैमेज करने की खबरें मिल रही है। यही कारण है कि कांग्रेसी नेता भी अब 45 से 50 सीटें मिलने के दावे से पीछे खिसकते दिखाई दे रहे हैं तथा वह भी अब बहुमत के लिए जरूरी 36 सीटों से ज्यादा ही मिलने की बात पर आ गए हैं। मतगणना में अभी 18 दिन का समय शेष है तब तक नेताओं के दावे कितने बदलते हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल सूबे के नेताओं की बेचैनी बढ़ती ही दिख रही है, अब 10 मार्च को ही पता चलेगा कि कौन किंग बनता है और कौन किंग मेकर।


सोशल मीडिया ने भी बढ़ाई धड़कनें
देहरादून। चुनावी संभावनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर जितना मसाला मिल रहा है और कोई भाजपा तो कोई कांग्रेस की सरकार बना रहा है उससे भी नेताओं की धड़कनें बढ़ रही है। क्योंकि कयासबाज तो यहां सिर्फ सीटों का बंटवारा ही नहीं कर रहे हैं अपितु किस सीट से कौन सी पार्टी का प्रत्याशी जीतेगा और हारेगा? उसका भी दावा कर रहे हैं यही नहीं हरिद्वार क्षेत्र से तो इस पर सटृेबाजी की भी खबरें आ रही है।

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