दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में हो रहे 18वीं लोकसभा के चुनाव में पूरी दुनिया हमारे लोकतंत्र का तमाशा देख रही है। देश के लोग अपने नेताओं द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान दिए जाने वाले भाषणों पर जो टीका टिप्पणी कर रहे हैं वह तो अलग बात है विश्व के तमाम देशों से भी तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। लेकिन देश के नेता है कि वह लोकतंत्र का तमाशा बनाने में मशगूल है। उन्हें किसी तरह की कोई परवाह नहीं है कि कौन क्या कह रहा है और क्यों कह रहा है। लोकतंत्र मिटाओ और लोकतंत्र बचाओ इस चुनाव का सबसे अहम मुद्दा बन चुका है। पिछले 10 सालों से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार देश की सत्ता पर काबिज है जिसने कश्मीर से धारा 370 को हटाने जैसे और देश के गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने जैसे तमाम बड़े—बड़े काम किए हैं लेकिन इस चुनाव में वह अपनी 10 साल की उपलब्धियों को बताकर मतदाताओं से अपील करने की बजाय उन्हें यह समझाने में जुटी हुई है कि कांग्रेस को या इंडिया गठबंधन को वोट देकर अगर आपने उनकी सरकार बनवाई तो वह आपकी मां बहनों से उनके मंगलसूत्र छीन लेंगे या उनके पास दो भ्ौसे हैं तो एक भ्ौंस को छीन लेगी। आपका आरक्षण छीनकर मुसलमान को दे देगें और तो और अब तीसरे चरण तक चुनाव के पहुंचते पहुंचते यहां तक बात जा पहुंची है कि पाकिस्तान किसी भी तरह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने की कोशिशें कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी मंदिर—मस्जिद और आरक्षण के मुद्दे से भी आगे निकलकर भारत—पाकिस्तान तक अब इस चुनाव को ले जा चुके हैं। जबकि देश की जनता का इन मुद्दों से कोई भी सरोकार नहीं है। देश में किसानों की बदहाली तथा बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से आम जनता परेशान है लेकिन भाजपा के नेताओं की जुबान पर न तो यह मुद्दे हैं न ही अपनी 10 साल की उपलब्धियाें का कोई जिक्र है। अबकी बार 400 पार का नारा देने वाली भाजपा ने इस बार भाजपा को 370 सीटें जीतने का जो लक्ष्य रखा था उसके पीछे जम्मू कश्मीर से 370 हटाये जाने के कारण ही रखा गया था लेकिन अब न 370 का जिक्र है न ही 400 पार का। भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेज कर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जो हुंकार भरी जा रही थी वह भी अब इलेक्टोरल बांड पर हुए खुलासे के बाद दम तोड़ चुकी है। इस चुनाव में जाति—धर्म और मंडल—कमंडल आदि सभी मुद्दे दम तोड़ चुके हैं और लड़ाई लोकतंत्र बचाओ और लोकतंत्र मिटाओ पर आकर अटक गई है। संविधान और संविधान से इंडिया शब्द को हटाने और बदलने पर चर्चाएं हो रही है। वह सत्ता में आए तो संविधान बदल देंगे और वह सत्ता में आए तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और इसके बाद देश में तानाशाही युग आ जाएगा खास बात यह है कि जो चुनाव अत्यंत ही सामान्य स्थितियों में शुरू हुआ था वह अपने अंतिम चरण तक पहुंचते—पहुंचते किस सीमा तक जाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन 2024 के इस अद्भुत चुनाव ने देश की आम जनता को इस कदर गुमराह कर दिया है कि वह देश के नेताओं द्वारा लोकतंत्र को इस तरह तमाशा बनाये जाने को लेकर जरूर हैरान परेशान है।