न्याय पत्र पर बैन लगाने की मांग

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सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कल पहले चरण के मतदान से पूर्व आज देश की सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम पर उठने वाले सवालों को लेकर आज क्या फैसला लिया जाता है इस पर सभी की नजरें लगी हुई है। वही इंडिया गठबंधन या यूं कहें कि कांग्रेस द्वारा जारी किए गए अपने उस घोषणा पत्र जिसमें उसने पांच न्याय और 25 गारंटी दी है, उस पर भी चुनाव आयोग क्या फैसला देता है इसे लेकर भी भाजपा नेता उत्सुकता के साथ इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस के इस न्याय पत्र पर बैन लगाने की मांग को लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि कांग्रेस द्वारा अपना यह न्याय पत्र भाजपा के मोदी की गारंटी नाम से आए चुनावी घोषणा पत्र से कई दिन पूर्व जारी कर दिया गया था लेकिन भाजपा ने तब इसे सिर्फ यह कहकर खारिज कर दिया था कि कांग्रेस को पता है कि उसे चुनाव जीतना तो है नहीं इसलिए कुछ भी वायदे कर दो इसमें खर्च क्या होना है। वहीं भाजपा नेताओं का यह भी कहना था कि इसमें जो वायदे किए गए हैं वह इतने बड़े—बड़े वायदे हैं कि इन्हें पूरा किया जाना संभव नहीं है। लेकिन अब कांग्रेस द्वारा 17 भाषाओं में छपवाये गये इस घोषणा पत्र या गारंटी पत्र को घर—घर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है तो भाजपा नेता अब इस पर बैन लगाने की मांग लेकर चुनाव आयोग पहुंच गए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कांग्रेस का यह गारंटी कार्ड मतदाताओं को घूस देने की खुली घोषणा करता है जिससे चुनाव प्रभावित हो सकता है इसलिए इस पर तत्काल बैन लगाया जाए। चुनाव आयोग जिस पर विपक्ष पहले ही समान प्लेग्राउंड उपलब्ध न कराने का आरोप लगाता रहा है, इस पर क्या फैसला लेता है यह चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा। भाजपा के इस कदम को लेकर कांग्रेस का जरूर यह कहना है कि भाजपा को हार का डर सता रहा है इसलिए वह कांग्रेस के गारंटी पत्र पर बैन लगाने की मांग कर रहे है। भाजपा शायद पहले यह मान रही थी कि आम जनता को सिर्फ मोदी की गारंटीयों पर ही विश्वास है इसलिए कांग्रेस के गारंटी पत्र की कोई अहमियत नहीं है लेकिन शायद अब भाजपा को यह लगने लगा है कि कांग्रेस का यह गारंटी पत्र मतदाताओं को लुभाने का काम कर सकता है। जहां तक ईवीएम की बात है तो यह मसला उस पर्ची के साथ वोटो के मिलान करने से जुड़ा है जो हर वोट के साथ निकलती है लेकिन मतदाता को यह पता नहीं चलता कि उसका वोट उसी प्रत्याशी व पार्टी को गया है या नहीं जिसे उसने वोट किया है। विपक्षी दल चाहते हैं कि 100 फीसदी पर्चियाें का मशीन के साथ मिलान होना चाहिए। इस मुद्दे पर आज क्या सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला करेगा ऐसी स्थिति में जब मतदान में एक दिन ही शेष बचा है। जहां तक कांग्रेस के न्याय पत्र या घोषणा पत्र पर बैन लगाने की बात है अगर निर्वाचन आयोग इस पर बैन लगाता है तो यह देश के इतिहास में पहली मर्तबा ऐसा होगा। इससे पहले किसी भी दल के घोषणा पत्र पर बैन नहीं लगाया गया है। वैसे भी चुनावी घोषणा पत्रों की कोई संवैधानिक मान्यता तो होती नहीं है न ही इसमें किए गए वादों को पूरा करने के लिए कोई दल बाध्य होता है। तब फिर यह समझ से परे है कि भाजपा को कांग्रेस के इस न्याय पत्र से परेशानी क्यों है वह भी अपने गारंटी पत्र में लिखने के लिए स्वतंत्र थी।

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