घोषणा पत्र का करिश्मा

0
54


यह राहुल गांधी कि बीते एक साल में की गई दो उन पदयात्राओं का कमाल है या फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए लाये गए उस घोषणा पत्र का जिसे न्याय पत्र का नाम दिया गया है समझ पाना मुश्किल है। लेकिन एक बात जरूर समझ में आ रही है कि इस न्याय पत्र में ऐसा कुछ न कुछ विशेष जरूर है जिसने कांग्रेस को चुनावी मुख्य धारा से जोड़ दिया है। यही कारण है कि आज इस देश में सबसे अधिक चर्चाओं और विमर्श के केंद्र में अगर कुछ है तो वह कांग्रेस का न्याय पत्र (घोषणा पत्र) ही है। हो सकता था कि अब तक के चुनावों की तरह इस न्याय पत्र को भी चुनावी वायदों का पुलिंदा मानकर रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया होता लेकिन इस न्याय पत्र की खास बात यह है कि अब न सिर्फ आम जनता इस पर भरोसा दिखाने लगी है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के तमाम स्टार प्रचारकों के भाषणों और जनसभाओं में कांग्रेस का यह न्याय पत्र सबसे अहम मुद्दा बनकर छा गया है। भाजपा के नेताओं द्वारा इसे भले ही मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र बताकर फिर महिलाओं को उनके गहनों व मंगलसूत्र बेचकर मुसलमानों को दिए जाने का भय दिखाया जा रहा हो या जातीय जनगणना के नाम पर सामाजिक विभाजन करने की कोशिश बताया जा रहा हो लेकिन भाजपा के नेताओं द्वारा इस न्याय पत्र का इतना प्रचार कर दिया गया कि यह चुनावी घोषणा पत्र अब राहुल गांधी के जीवन का मिशन और कांग्रेस के लिए उसका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। हालात यह पैदा हो चुके हैं कि इन्हें पूरा करने के लिए धन कहां से आएगा? या यह कह कर इसे खारिज करने वाले नेता कि कांग्रेस को पता है कि उसे सत्ता में आना नहीं है इसलिए कुछ भी वायदे कर दो अब सभी इस चुनावी घोषणा पत्र से इतनी डर गए हैं कि चुनाव आयोग से इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं और सड़कों पर इसे लेकर प्रदर्शन तक शुरू कर दिए गए हैं। खास बात यह है कि राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य तमाम नेता भाजपा नेताओं द्वारा इस न्याय पत्र पर उठाए जाने वाली आपत्ति पर पलटवार से उन्हें किसी भी मुद्दे पर ठहरने नहीं दे रहे हैं। भाजपा के नेता इस न्याय पत्र के जाल में इस कदर उलझ चुके हैं कि अब वह चुनावी भाषणों में अपना 10 साल की उपलब्धियों से लेकर अपने घोषणा पत्र के बारे में कुछ भी बताते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं और हर रोज उन्हें चुनावी भाषणों के नए—नए मुद्दों पर बात करना पड़ रहा है। सवाल यह है कि इस घोषणा पत्र में आखिर ऐसा क्या कुछ है जो इसके इर्द—गिर्द समूचा चुनाव चक्कर काटने लगा है। पांच न्याय और 25 गारंटी वाला यह न्याय पत्र इस चुनाव के दौर तक आते—आते आखिर इतना प्रभावी कैसे बन गया यह बात कहने की नहीं समझने की है। राहुल गांधी कहते हैं कि यह उन्होंने आम जनता के बीच जाकर जो देखा और समझा वही सब इस चुनावी घोषणा पत्र में है। इसमें सामाजिक समानता की रूपरेखा है और इसे पूरा करने की गारंटी, यह चुनावी घोषणाएं नहीं है यह उनके जीवन का मिशन बन चुका है। वह अब जाति धर्म की कोई बात नहीं कर रहे हैं कैसा पूरा करेंगे वायदे इस सवाल का जवाब भी दे रहे हैं। वही वह इस चुनावी हार जीत से ऊपर उठकर राष्ट्र और समाज के भावी भविष्य व जनकल्याण के नजरिए से देखते हैं। यह न्याय पत्र चुनावी सफलता में कितना कारगर साबित होगा समय ही बताएगा लेकिन इस न्याय पत्र ने तहलका जरूर मचा दिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here