सिल्कयारा सुरंग हादसे पर आई जांच रिपोर्ट, निर्माण में पायी गयी कमियां

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देहरादून। सिल्कयारा सुरंग हादसे की जांच कर रही एक्सपर्ट पैनल की टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी गयी है। इस हादसे में 41 श्रमिक 17 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे थे। बाद में कड़ी मशक्कत के बाद सभी को सकुशल बाहर निकाला गया था। हादसा किन कारणों से हुआ और क्या कुछ इसमें कमियां थी इसको लेकर धामी सरकार ने एक्सपर्ट पैनल की टीम गठित की थी।
जांच कर रहे पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कई कमियों को उजागर किया है। जिससे निर्माणदायी एजेंसियां सवालों के घेरे में आ गईं है। 70 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरंग परियोजना की डिजाइन प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में विस्तृत भू—तकनीकी और भूभौतिकीय जांच नहीं कराई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरंगों को हिमालयी क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए भूकंपीय विचारों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाना चाहिए। कहा गया है कि सुरंग में त्रासदी की स्थिति में निकासी योजना का अभाव था। बचने का कोई रास्ता नहीं था साथ ही अलार्म व निगरानी प्रणाली भी उचित नहीं थी।
इस परियोजना का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है। इसकी अनुमानित लागत 853.79 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया कि भविष्य की परियोजनाओं को अप्रत्याशित भूवैज्ञानिक आश्चर्यों को कम करने के लिए व्यापक साइट अध्ययन को प्राथमिकता देनी चाहिए। सुरंग परियोजनाओं को शुरू करने से पहले संपूर्ण भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करना महत्वपूर्ण है। इसमें चटृान संरचनाओं, भूकंपीय गतिविधि और संभावित जोखिमों का आकलन करना शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुरंगों को भूवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है। जांच के लिए गठित पैनल मं उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र के निदेशक शांतनु सरकार समिति के अध्यक्ष थे, और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक खिंग शिंग लुराई, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के वैज्ञानिक सुनील कुमार यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रूड़की थे। कौशिल पंडित, भूविज्ञान एवं खनिज विज्ञान विभाग के उप निदेशक जीडी प्रसाद और यूएसडीएमए देहरादून के भूविज्ञानी तंद्रिला सरकार समिति के सदस्य थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरंग में त्रासदी की स्थिति में निकासी योजना का अभाव था।

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