नेताओं के मतभेदों की वजह तलाशेगें प्रभारी दुष्यंत गौतम

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अभी जारी है आरोप—प्रत्यारोपों का दौर
सत्ता और संगठन के बीच संतुलन साधने की कोशिश

देहरादून। प्रदेश भाजपा संगठन और सरकार के बीच बेहतर समन्वय और शीर्ष नेताओं के बीच जारी खींचतान को समाप्त कराने के लिए प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम देहरादून दौरे पर हैं। पार्टी के नेताओं के बीच चल रहे शीतयुद्ध को लेकर वह दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों तथा मुख्यमंत्री धामी से भी विचार—विमर्श करेंगे।
राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत द्वारा भ्रष्टाचार और स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर अपनी ही सरकार पर जो सवाल उठाए गए थे उन्हें लेकर हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा था। यही नहीं मेयर सुनील उनियाल गामा ने भी सीएम को पत्र लिखकर जो स्मार्ट सिटी के कामों पर सवाल उठाए थे भले ही अब उनकी गूंज सुनाई न दे रही हो लेकिन नेताओं के बीच अदावत का दौर अभी भी थमा नहीं है। मुख्यमंत्री धामी द्वारा इन नेताओं पर तंज कसते हुए कहा गया है कि जो मछली मुंह खोलती है वही कांटे में फंसती है। भले ही उनके द्वारा किसी नेता का नाम नहीं लिया गया हो लेकिन उनके इस बयान को आरोप लगाने वाले नेताओं से ही जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा के केंद्रीय नेताओं की चिंता यह है कि अभी होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर पार्टी नेताओं की इस खींचतान का असर पड़ सकता है। दुष्यंत गौतम अपने इस दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत से अलग—अलग मुलाकात व बात करेंगे और इन मतभेदों तथा मनभेदों का कारण जानने की कोशिश करेंगे। आमतौर पर यह देखा जा रहा है कि प्रदेश भाजपा में इन मतभेदों के कारण गुटबाजी बढ़ती जा रही है। अभी त्रिवेंद्र सिंह रावत और उमेश शर्मा के बीच चल रही न्यायिक लड़ाई में सरकार द्वारा एसएलपी वापस लेने के मामले को लेकर भी गुटबाजी नजर आई थी।
उधर उत्तरदायित्व और मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर दुष्यंत गौतम द्वारा सरकार और संगठन के नेताओं का मन टटोला जा सकता है। चर्चा है कि गुजरात चुनाव निपटने के बाद राज्य के मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल हो सकता है तथा संगठन के कार्यकर्ताओं को उत्तरदायित्व बांटे जा सकते हैं। जिसमें भाजपा के गुटीय संतुलन का सवाल सबसे बड़ा सवाल है

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