अखबारों में विज्ञापन देकर भी नहीं मिली रामदेव को माफी

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  • जैसे विज्ञापन छपवाते हो वैसा ही छपवाओ माफीनामा
  • सुप्रीम कोर्ट ने फिर दी चेतावनी, नहीं तो चलेगा अवमानना का केस

नई दिल्ली। योग गुरू बाबा रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण भ्रामक विज्ञापन के मामले में इस कदर उलझ गये है कि देश की सर्वोच्च अदालत में बार—बार लिखित माफीनामा देने के बाद भी उन्हे राहत की जगह सिवाय फटकार के कुछ भी नहीं मिल सका है। हर बाद अदालत उन्हे अपनी गलती में सुधार करने की हिदायत के साथ नई तारीख देती है और साथ ही इस बात की चेतावनी भी कि लगता है कि आपके खिलाफ हमें कोर्ट की अवमानना का मामला चलाना ही पड़ेगा।
दो बार के लिखित हलफनामे और माफीनामें के बाद कोर्ट ने उन्हे कहा था कि आप अखबारों में अपना माफीनामा छपवायें। यानि अदालत के समक्ष नही जनता के समक्ष माफी मांगे। आज हुई सुनवायी के दौरान उनके अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके मुअकिल ने 67 अखबारों में माफीनामा छपवा दिया है। कोर्ट में मौजूद बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर कहा कि भविष्य में वह ऐसी गलती नहीं करेंगे। अब तो उन्हे माफ कर दिया जाये। उनकी तरफ से वह अखबार भी अदालत में पेश किये गये जिनमें माफीनामा छपा था।
इस माफनामे को देखकर पीठ के सदस्य और भी भड़क गये। उन्होने पूछा कि क्या आप अपनी दवाओं और उत्पादों के विज्ञापन भी इसी तरह और इतनी जगह में छपवाते है? कोर्ट की आपत्ति पर उनके पक्ष को कोई जवाब देते नहीं बना। तब अदालत ने उन्हे कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि लगता है कि आप अभी भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आप एक पत्रकार वार्ता बुलाये और सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए वैसे ही अपना माफीनामा छपवाए जैसे कि विज्ञापन छपवाते थे। कोर्ट ने अब उन्हे 30 अपै्रल को फिर पेश होने के लिए कहा है। साथ ही कहा है कि आप हमें बाध्य न करें कि हम आप पर अवमानना का केस चलाये। कोर्ट ने मैडिकल एसोसिएशन को भी मंहगी दवांए लिखने वाले डाक्टरों को भी कैसे प्रतिबंधित किया जाये इसके बारे में भी हिदायत दी है।

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