हाल—ए—हरकः न इधर के रहे, न उधर के रहे

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  • बहुत जल्द फिर भाजपा में जायेगें हरक

देहरादून। न खुदा ही मिला न विसाल—ए—सनम न इधर के हुए न उधर के हुए। इन दिनों यह पंक्तियंा राजनीति में शेर—ए—गढ़वाल कहे जाने वाले डा. हरक सिंह रावत पर सौ फीसदी खरी उतर रही है।
हमेशा खबरों की सुर्खियों में बने रहने वाले डा. हरक सिंह ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कभी ऐसी भी स्थितियां भी पैदा हो सकती है कि किसी पार्टी से निष्कासित किये जाने के बाद फिर उन्हे उसी पार्टी में जाना पड़ेगा। पाखरो सफारी घोटाले में फंसे डा. हरक सिंह पर जांच ऐजेसिंयों का कसता शिंकजा और कांग्रेस में उन्हे वापसी के बाद भी स्वीकार नहीं किये जाने के कारण आज हरक सिंह मुसीबतों से जूझ रहे है। उनकी पुत्र वधु अनुकृति अभी दो दिन पूर्व भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुकी है। जिसके बाद से उनके भी भाजपा में जाने की खबरें चर्चाओं के केन्द्र मे है।
नैनीताल सांसद अजय भट्ट का कहना है कि कुछ ही दिनों में डा. हरक सिंह की भी भाजपा में वापसी हो जायेगी। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट पहले ही यह कहकर संकेत दे चुके है कि अभी कुछ कांग्रेसी विधायक भी भाजपा में शामिल होने वाले है। भट्ट से हरक सिंह के बारे में पूछा गया था तो उन्होने कहा था कि जब तक किसी व्यक्ति पर दोष सिद्ध नहीं होता उसे आप दोषी नहीं मान सकते है। उनका यह भी कहना है कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा पार्टी से जो भी निष्कासित किया गया है उसे भाजपा हाईकमान कभी भी वापस ले सकती है। इसलिए अब देर सवेर उनका भाजपा में जाना तय माना जा रहा है।
दरअसल डा. हरक सिंह से 2016 में जो एक बड़ी चूक हुई थी और जब वह कांग्रेस तथा राज्य की हरीश रावत सरकार से बगावत कर अन्य नेताओं के साथ भाजपा में चले गये थे। स्थिति और परिस्थितियों ने उन्हे फिर से कांग्रेस में आने पर विवश तो कर दिया लेकिन सूबे के कांग्रेसी नेता उन्हे आत्मसात नही कर सके। उधर घपले घोटालों की फाइलें खोलकर तमाम जांच के जंजाल में उन्हे अब फंसा दिया गया है। डा. हरक सिंह को शायद अब लगने लगा है कि सिर्फ भाजपा में जाकर उन्हे इससे निजात मिल सकती है। अनुकृति अगर भाजपा में गयी है तो वह हरक सिंह की स्वीकृति से ही गयी है। देखना है कि अब हरक कब भाजपा में वापस जाते है।

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