राजनीतिक अस्थिरता का खतरा खत्म
निर्दलीयों की दखल और निर्भरता नहीं
देहरादून। सभी कयासों और एग्जिट पोल्स को गलत साबित करते हुए उत्तराखंड के लोगों ने राज्य में एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार के गठन का जनादेश भाजपा के पक्ष में दिया जाना राज्य में राजनीतिक स्थिरता और विकास को गतिमान रखने के लिहाज से एक शुभ संकेत माना जा रहा है।
चुनाव परिणाम से एक दिन पूर्व सांध्य दैनिक `दून वैली मेल’ द्वारा राज्य में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने की संभावनाएं जताई गई थी। जो सच साबित हुई, भाजपा 70 में से 47 सीटों पर जीत के साथ राज्य में एक बार फिर मजबूत बहुमत वाली सरकार बनाने जा रही है जो 5 साल तक बिना किसी विघ्न बाधा के अपना कार्यकाल पूरा करेगी। वहीं विपक्ष कांग्रेस पहले की 11 सीटों वाले विपक्ष से अधिक मजबूत हुआ है। विपक्ष की संख्या में भी 10 की वृद्धि होने से वह पहले से ज्यादा मजबूत होगा। जो सरकार के काम पर नजर रखने और मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है।
भाजपा जिसे 2017 के चुनाव में 70 में से 57 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने का मौका मिला था लेकिन लचर नेतृत्व के कारण यह सरकार विकास के मुद्दे पर वैसी सफल और कारगर साबित नहीं हो सकी जैसी जन अपेक्षाएं थी। यही कारण था कि चुनाव से पहले उसे दो मुख्यमंत्री बदलने पड़े और अपने ही कई निर्णय भी पलटने पड़े। अब जब जनता ने भाजपा को एक और मौका दिया है तो उससे अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह अपनी पुरानी गलतियों को नहीं दोहरायेगी। मुख्यमंत्री की कुर्सी चिंतन मंथन के बाद किसी योग्य और कर्मठ तथा ईमानदार व्यक्ति को सौंपी जाए जिसे 5 साल तक बदलने की जरूरत न पड़े जो राज्य के समग्र विकास और युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर स्तर तक ले जा सके। जिससे 2027 के चुनाव में उसे केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी के नाम और काम का सहारा न लेना पड़े।
वर्तमान बड़े जनादेश के साथ भाजपा की आने वाली नई सरकार के सामने जिम्मेदारियां भी बड़ी होंगी और जवाबदेही भी बड़ी ही रहने वाली है। भाजपा नेताओं को पार्टी के अंदरूनी मामलों को लेकर भी अनुशासित होने की जरूरत है। जिस तरह की अनुशासनहीनता चुनावी दौर में देखी गई है उससे निपटने के लिए भाजपा को और सख्ती बरतने की जरूरत है। तभी सरकार ठीक से चल सकेगी और काम कर सकेगी। प्रचंड बहुमत ने सरकार की निर्दलीयों पर निर्भरता खत्म कर दी जो अच्छी बात है।