भले ही मानसून से देश के उन तमाम सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिली हो जहां लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए बूंद—बूंद पानी को तरस रहे थे लेकिन इस साल देश के बड़े हिस्से में अतिवृष्टि के कारण जो भारी तबाही देखने को मिली उसका दर्द भी कम बड़ा नहीं है। बात बिहार व महाराष्ट्र की हो या आंध्र प्रदेश, केरल और उड़ीसा अथवा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड की बीते 3 महीनों से हर जगह तबाही ही तबाही की तस्वीरें देखी जा रही है। बात उत्तराखंड की करें तो बीते तीन माह में राज्य में इतनी बारिश हुई कि कई लोग बेघर हो गए। राहत शिविरों में यह लोग जीवन जीने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। कितनी संपत्ति को नुकसान हुआ है तथा कितनी कृषि भूमि बाढ़ और बारिश के कारण बर्बाद हो गई, फसलों को कितना नुकसान पहुंचा है इसका कोई सही अनुमान लगाया जाना संभव नहीं है। बाढ़ के कारण सबसे बड़ा नुकसान उन किसानों को हुआ है जिनकी सरकार आय दोगुना करने की बात कहती रही है। प्रभावित क्षेत्रों में कई किसान ऐसे हैं जिनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है तथा कई किसानों के खेतों के कटान के कारण नामोनिशान मिट चुके हैं जहां कभी खेतों में फसलें लहलहाया करती थी वहां अब पानी का दरिया बह रहा है ऐसे लोगों के सामने सबसे बड़ा संकट स्वयं को और अपने परिवार को किसी तरह खड़ा करना है इस बर्बादी का असर अभी से आम जनजीवन पर दिखना शुरू हो गया है और महंगाई अपने चरम पर चल रही है। हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड जैसे राज्यों में सेब की फसल को बाजार तक पहुंचाना बड़ी चुनौती बना हुआ है। मानसून के कारण सड़कों की हालत तो खराब है ही साथ ही साथ पुल और पुलिया टूटने से रास्ते बंद हैं। वही भूस्खलन के कारण आवागमन भी मुश्किल हो रहा है। सितंबर माह बीतने वाला है और अक्टूबर आने वाला है लेकिन मानसून के तेवर वैसे ही बने हुए हैं। अगर यह बारिश कम से कम 15 दिन और यूं ही जारी रही तो खेत में पककर तैयार खड़ी फसलों का क्या होगा। देशभर के किसानों को अब यही चिंता सता रही है। बाढ़ और बारिश प्रभावित क्षेत्रों के लोग जल्द शुरू होने वाली सर्दियों के बारे में सोच कर भी परेशान हैं वहीं उन्हें बाढ़ और बारिश के बाद फैलने वाले संक्रामक रोगों का भय भी सता रहा है। देश के लोग बस यही दुआ कर रहे हैं कि जल्द से जल्द उन्हें इस आसमान से बरसने वाली मुसीबत से छुटकारा मिले और मानसून की विदाई हो जिससे वह अपनी आने वाली जिंदगी को किसी तरह पटरी पर ला सके।