हल्द्वानी हिंसा की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए

0
271
  • 83 सेवानिवृत अधिकारियों ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
  • कमिश्नर स्तर की जांच को बताया नाकाफी
  • घटना के पीछे के कारण जानना भी जरूरी

देहरादून। बीते 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा की जांच किसी केंद्रीय जांच एजेंसी या फिर अन्य किसी जांच एजेंसी से सेवानिवृत जज की देख रेख में कराई जानी चाहिए। क्योंकि राज्य में हुई इस घटना के निःतार्थ में अनेक गंभीर सवाल छुपे हुए हैं। सूबे के 83 सेवानिवृत अधिकारियों ने एक संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र में यह बात कही गई है जो राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को लिखा गया है।
इन अधिकारियों का कहना है कि भले ही अब हिंसा ग्रस्त क्षेत्र में अमन और शांति बहाल होती दिख रही हो लेकिन हल्द्वानी हिंसा जिसकी जांच का काम कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत को सौंपा गया है सिर्फ कमिश्नर स्तर की जांच ही प्राप्त नहीं है। इस जांच को उच्च स्तरीय किसी जांच एजेंसी से कराई जानी चाहिए। इस हिंसा में कितने लोग मरे या कितने लोग घायल हुए सवाल सिर्फ यहीं तक नहीं है यह घटना राज्य के शासन—प्रशासन को दी गई एक चुनौती है। इस घटना को एक सुनियोजित तरीके से जिस तरह एक समुदाय विशेष के लोगों द्वारा अंजाम दिया गया है वह अत्यंत ही चितंनीय विषय है। राज्य में इस तरह की कोई घटना पूर्व समय में नहीं देखी गई है। राज्य में होने वाली यह पहली घटना है और ऐसी घटनाओं की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो इसलिए इस घटना के पीछे के कारण और हिंसा करने वालों के मंसूबों को पूरा सच जानना जरूरी है।
मुख्य सचिव को यह खत लिखने वालों में कई पूर्व आईएएस, आईपीएस और अन्य बड़े अधिकारी शामिल हैं। हालांकि शासन—प्रशासन स्तर पर इस घटना को लेकर भारी सख्ती बरती जा रही है अब तक 58 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। फरार आरोपियों के पोस्टर छपवाये जा चुके हैं तथा उनकी संपत्तियों को कुर्क किया जा रहा है। डेढ़ सौ के आसपास लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं। वाहनों के लाइसेंस भी निरस्त किए जा रहे हैं तथा आरोपियों पर एनएसए के तहत कार्यवाही करने की बात कही जा रही है। लेकिन इन अधिकारियों द्वारा इतनी बड़ी वारदात की जांच कमिश्नर लेवल पर कराया जाना नाकाफी माना जा रहा है यही कारण है कि इन सेवा निवृत 83 अधिकारियों ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है। देखना होगा कि अब सरकार और प्रशासन इस पर क्या फैसला लेता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here