नई दिल्ली। संघ परिवार ईसाई समुदाय को जोड़ने की कोशिशों में लगा दिखाई दे रहा है। दरअसल अब पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला मेघालय हाउस में आज यानी शुक्रवार को क्रिसमस भोज की मेजबानी करने जा रहे हैं। आपको बता दें कि आरएसएस से जुड़े राष्ट्रीय ईसाई मंच के इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से केरल तक के चर्च प्रमुख भाग लेंगे। वहीं आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है। आपको बता दें कि यह पहली बार होगा जब राष्ट्रीय ईसाई मंच की ओर से उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के चर्च प्रमुखों को भी आमंत्रित किया जा रहा है, जहां पिछले कुछ समय से पादरियों, चर्चों और ईसाइयों के कुछ संस्थानों पर हमलों की घटनाएं सामने आईं हैं।
आपको बता दें कि भाजपा नेताओं का मानना है कि चर्च और चर्च प्रमुखों को भी राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए। केवल यही नहीं बल्कि ईसाई समुदाय भी यही कहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी बार बड़ी जीत के बाद आरएसएस और भाजपा के साथ दूरी रखना ठीक नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार ने चर्च प्रमुखों को ये बता दिया है कि वे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा न बनें।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के ईसाई प्रतिनिधियों को न्योता दिया है। आप जानते ही होंगे कश्मीर में मुस्लिम बहुल आबादी को देखते हुए इसे आरएसएस का एक बड़ा राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है। साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर की लगभग 1.25 करोड़ की आबादी में लगभग 36 हजार ईसाई हैं। वहीं केरल की लगभग साढ़े 3 करोड़ की आबादी में लगभग 18 फीसदी ईसाई वोटर हैं। इस राज्य में भाजपा अपनी पैठ बढ़ाने के प्रयास में है। साल 2021 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 11.3 फीसदी वोट मिले थे। जबकि 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 10.53 फीसदी वोट हासिल हुए थे। ऐसे में उत्तर-पूर्व के मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में 70% ईसाई आबादी है। वहीं इन राज्यों में भाजपा अपने बूते सरकार बनाने के प्रयास में है। आपको जानकारी दे दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में पूर्वोत्तर की सभाओं में ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की प्रस्तावित भारत यात्रा का विशेष तौर पर उल्लेख अपने भाषण में किया था।