रेस्क्यू टीम का पाइप प्लान फेल

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  • आगर मशीन में फंसा लोहे का जाल, काम ठप
  • मशीन के ब्लेड और साफ्ट टूटकर पाइप में फंसे
  • अब अन्य विकल्पों पर तेजी से काम का फैसला

उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल हादसे को आज 14वंा दिन है, लेकिन रेस्क्यू कार्य में आ रही बाधाओ के कारण बीते कल एक बार फिर अवरोध आने से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आगर मशीन के जरिए किए जाने वाले पाइप ड्रिलिंग का प्लान फेल हो जाने के कारण अब अन्य विकल्पों पर काम करने का फैसला लिया गया है। ऐसी स्थिति में अब रेस्क्यू कार्य के पूरा होने में कई दिन का समय लग सकता है।
सुरंग में पाइप ड्रिलिंग के जरिए अंदर फसें 41 मजदूर तक पहुंचने के जिन प्रयासों पर सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू टीमों की सारी उम्मीदें टिकी थी बीती रात उन सभी प्रयासों पर अब पानी फिर चुका है। जो बाकी बचे 10—12 मीटर की दूरी को कुछ ही घंटे में पार करने और श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के दावे किए जा रहे थे अब रेस्क्यू टीमों का वह पाइप प्लान फेल हो चुका है। जानकारी के अनुसार कल रात इस आगर मशीन से काम शुरू होने के 1 घंटे के बाद ही इस मशीन ने काम करना बंद कर दिया क्योंकि उसके ब्लड किसी लोहे के जाल में फंसने से टूट गए। जब इस मशीन को बाहर निकालने का प्रयास किया गया तो उसका सॉफ्ट भी टूट गया और इसका एक हिस्सा पाइप के अंदर ही फस गया जिसे अब मैन्युअली गैस कटर से काटकर बाहर निकालने के प्रयास किया जा रहे हैं लेकिन यह काम आसान नहीं है।
उधर अब दूसरी ओर एक आगर मशीन हैदराबाद से मगांने की बात भी सामने आई है लेकिन इसे आने में 2 दिन का समय लगेगा और 4 दिन से पहले वह काम करना शुरू नहीं कर पाएगी। उसकी सफलता असफलता तो बाद की बात है। रेस्क्यू के इस प्लान बी के फेल हो जाने से रेस्क्यू अभियान को बड़ा झटका लगा है और यह अभियान एक बार फिर वही आकर खड़ा हो गया है जहां से शुरू हुआ था। हालांकि अन्य तीन प्लान पर काम किए जाने की बात कही जा रही थी लेकिन यह प्लान सफलता के करीब था इसलिए अन्य प्लान सिर्फ तैयारी तक ही सीमित थे। अब इस पाइप प्लान के फेल हो जाने के बाद हालत पहले से भी अधिक चुनौती पूर्ण हो गए हैं क्योंकि इस रेस्क्यू अभियान को 14 दिन का समय बीत चुका है।
पाइप प्लान के फेल होने के बाद अब वर्टिकल ड्रिलिंग प्लान और हारिजेंटल ड्रिलिंग प्लान की तैयारी को तेज किया जा रहा है। वर्टिकल ड्रिलिंग का काम सतलुज जल विघुत परियोजना की विशेषज्ञों को सौंपा गया जो आज अपनी भारी भरकम मशीन को पहाड़ की चोटी तक ले जाने के काम में जुटे हुए हैं हो सकता है कल तक यह काम शुरू हो जाए लेकिन यह काम अत्यधिक जोखिम भरा है तथा इसे अगर सफलता पूर्वक किया भी जा सका तो इसमें तीन से चार दिन का समय लगना तय है। वही हारिजेंटल ड्रिलिंग का काम करने वाली रेलवे की टीम का कहना है कि उसे इस काम में 10 दिन से एक माह तक का समय लग सकता है तीसरा जो एक अन्य विकल्प है वह बड़कोट की तरफ से सुरंग की खुदाई का लेकिन इस काम में महीनों का समय लगेगा इसलिए उसे सोचा जाना भी बेकार है। रेस्क्यू के कार्य को भले ही पीएमओ की देखरेख में आने के बाद युद्ध स्तर पर किया जा रहा हो लेकिन अब इसके बहुत जल्द पूरा होने की संभावनाए दिखाई नहीं दे रही। जिससे सुरंग में फंसे लोगों और परिजनों की चिंताएं और भी अधिक बढ़ गई है।

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