नाम बड़े और दर्शन छोटे

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उत्तराखंड की सरकार इन दिनों दो बड़ी समस्याओं से जूझ रही है पहली समस्या है जंगल में लगी आग और दूसरी समस्या है चार धाम यात्रा की तैयारियां। खास बात यह है कि सत्ता में बैठे लोग इन समस्याओं के समाधान के लिए क्या कर रहे हैं? आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की एक तस्वीर जिसमें वह अकेले रुद्रप्रयाग जिले के रतूड़ा क्षेत्र में पिरुल की पत्तियां एकत्रित करते दिख रहे हैं अखबारों में छपी है। उनके आसपास कहीं आग या धुआं नहीं दिख रहा है। उनकी यह तस्वीर देखकर किसी को भी उनकी तथा अन्य भाजपा नेताओं की वह तस्वीरें याद आ सकती है जिसमें वह स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रचार करते हुए हाथों में झाड़ू लेकर सड़कों पर तस्वीरें खिंचवाते थे। भले ही इसके पीछे लोगों को जागरूक करने का संदेश देने की बात कही जाती रही हो लेकिन यह नेताओं के राजनीतिक दिखावे से अधिक कुछ भी नहीं है। आज अगर सत्ता में बैठे लोगों से यह पूछा जाए कि इन जंगलों की आग से सुरक्षा के लिए उन्होंने क्या पूर्व तैयारी की थी? तो वह बगले झांकते ही दिखेंगे। बीते तीन—चार माह से मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश में सिर्फ रोड शो और लोकार्पण तथा शिलान्यास या जनसभाएं ही करते रहे। क्योंकि उनके लिए लोकसभा की सभी पांच सीटों पर जीत ही उनका एकमात्र लक्ष्य था।अब वह पार्टी के स्टार प्रचारक होने के नाते पूरे देश में चुनावी सभाएं करने में व्यस्त हैं और जंगल की यह आग विकराल रूप ले चुकी है तथा मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है तो वह अपने चुनावी कार्यक्रम रद्द कर हालात की समीक्षा करने तथा वन कर्मियों को सस्पेंड कर खुद पिरूल की पत्तियां समेटते दिख रहे हैं। अगर समय रहते इन जंगलों की सुरक्षा पर ध्यान दिया गया होता तो शायद उन्हें यह सब करने की जरूरत नहीं पड़ती और जंगलों की आग से इतना नुकसान नहीं होता। अब बात कर ले चार धाम यात्रा की तैयारी की जिस पर कल पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का बयान आया है कि वह और उनकी सरकार श्रद्धालुओं के स्वागत और सत्कार को तैयार है। इन श्रद्धालुओं का राज्य में कैसा स्वागत सत्कार हो रहा है इसकी जो तस्वीर कल हरिद्वार में ऑफलाइन पंजीकरण केंद्रो पर देखने को मिली उसे पर्यटन मंत्री को जरुर देखना चाहिए क्या ऐसा ही स्वागत सत्कार राज्य सरकार द्वारा श्रद्धालुओं का किया जाना है कि पंजीकरण को लेकर परेशान हजारों यात्री वापस घर लौटने पर विवश हो जाए। उनका दावा तो यही है कि दर्शनों के लिए किसी को भी 1 घंटे से अधिक इंतजार नहीं करना होगा लेकिन पंजीकरण के लिए ही जब 8 घंटे लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है तो यह कैसी तैयारी और स्वागत सत्कार है जिसकी बात पर्यटन मंत्री कर रहे हैं। सिर्फ हेलीकॉप्टर से धाम व कपाट खुलते वक्त फूल बरसाने तक ही सीमित सरकार का स्वागत सत्कार है। अभी तक सड़क व संपर्क मार्ग तक तो तैयार नहीं है जबकि कल से यह यात्रा शुरू हो रही है। सत्ता में बैठे लोगों को जमीनी हकीकत का पता नहीं है या फिर वह सिर्फ हवा हवाई बातों से ही सब कुछ ठीक करने का दिखावा कर रहे हैं।

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