भाजपा नेता ही करा रहे हैं पार्टी व सरकार की किरकिरी

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निष्पक्ष जांच टालने का प्रयास या कार्यवाही के संकेत
बैकडोर भर्ती और अंकिता हत्याकांड की गूंज अभी तक बरकरार

देहरादून। काबीना मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल अपने मारपीट वाले वीडियो को लेकर एक बार फिर खबरों की सुर्खियों में है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस आगबबूला है मंत्री के पुतले फुके जा रहे हैं तथा उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है। वही इस मुद्दे को लेकर भाजपा भी असहज दिख रही है बात बड़ी साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनाव सर पर है और इस तरह की वारदातें भाजपा और पुष्कर सिंह धामी की सरकार की छवि को खराब कर रही है।
किसी भी माननीय द्वारा किया गया वैसा आचरण जैसा की वायरल वीडियो में मंत्री और उनके अंगरक्षकों का दिखाई दे रहा है उसे ठीक नहीं माना जा सकता है। इसका आम जनता में जो गलत संदेश जाता है उसे रोक पाना मुश्किल होता है। यही कारण है कि यह राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ी खबर बन गई है और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप के लिए आगे आना पड़ा है। जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो उसका डैमेज कंट्रोल भी जरूरी होता है और भाजपा ने तुरंत उस पर गंभीरता से काम भी शुरू कर दिया है।
अभी बीते साल ऋषिकेश के एक रिजार्ट में महिला कर्मचारी की हत्या को लेकर भी कांग्रेस ने व्यापक आंदोलन किया था जो अभी तक जारी है, क्योंकि इस हत्या में भाजपा नेता के पुत्र का नाम मुख्य आरोपी होने के रूप में सामने आया था। इसे लेकर भी भाजपा की खूब किरकिरी हुई थी और भाजपा नेता को पार्टी द्वारा बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा था। भर्ती घोटालों को लेकर भाजपा अपने ही नेताओं के कारण भारी फजीहत झेल चुकी है। भले ही सीएम धामी ने हाकम सिंह जैसे नेताओं पर सख्त कारवाही कर अपनी और पार्टी की छवि को बचाने की कुशल कोशिश की हो लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह सिलसिला कब तक जारी रहेगा। जहां तक काबीना मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल की बात है तो यह कोई पहला मामला नहीं जिसे लेकर वह सुर्खियों में आए हैं अपने बेटे को असंवैधानिक तरीके से नौकरी दिलाने और विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए अपने कार्यकाल में बैक डोर भर्तियों को लेकर भी चर्चाओं के केंद्र में रह चुके हैं। भले ही सरकार द्वारा उनके कार्यकाल में की गई बैकडोर भर्तियों को रद्द कर भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाए रखने का काम जरूर कर लिया लेकिन अब एक आम नागरिक के साथ सड़क पर इस मारपीट किए जाने के मामले ने फिर भाजपा के लिए संकट को स्थितियां पैदा कर दी। निष्पक्ष जांच के नाम पर यह मामले को रफा—दफा करने की कोशिश है या भाजपा वास्तव में अब इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगी यह आने वाला समय ही बताएगा।

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