किसकी शह पर मुख्य चौराहों के पास धड़ल्ले से लग रही हैं ठेलियां व ऑटो

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  • पुलिस को क्यों नहीं दिखायी देती ये ठेलियां व ऑटो

देहरादून। मुख्य चौराहों के पास धडल्ले से लग रही ठेलियों व ऑटों के कारण लोगों को जाम से जूझना पडता है लेकिन मतलब ही नहीं उठता कि पुलिस प्रशासन इन पर कोई कार्यवाही कर सके। सवाल उठता है कि इनको आखिर किसी शह मिली है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों शहर की यातायात व्यवस्था एक दम से चरमरायी हुई है और प्रत्येक घंटे के बाद किसी न किसी चौराहे पर जाम लगना आम बात हो गयी है। पुलिस अधिकारी इस जाम से जनता को निजात दिलाने के लिए आये दिन प्रयोग करते रहते हैं लेकिन पुलिस अधिकारियों के वह प्रयोग कोढ में खाज का काम करते हैं। जिससे जनता का बुरा हाल हो जाता है। पुलिस अधिकारियों के नित नये प्रयोगों में शहर के सभी चौराहे, तिराहे व विव्रम, सिटी बसें बीच में आती है और इनपर किसी न किसी प्रकार की रोक भी लगायी जाती है लेकिन पुलिस अधिकारियों को इन चौराहों के चारों ओर लगने वाली ठेलियां क्यों नहीं दिखायी देती यहां अपने आप में बडा सवाल खडा हो जाता है। शहर के मुख्य चौराहों के आसपास लगी ठेलियां पुलिस अधिकारियों को मुंह चिढाती दिखायी देती है और उनको मजबूर होकर इन ठेलियों को नजरअंदाज करना पडता है।

यह भी अपने आप में एक प्रश्न है कि पुलिस अधिकारियों को किसका इतना खौफ है कि वह इन ठेलियों के खिलाफ कोई कदम उठाने से कतराते हैं। यह बात दूसरी है कि चौराहों पर लगी ठेलियों का गुस्सा पुलिस अधिकारी गली मौहल्ले में सब्जी बेच रहे ठेली वालों पर निकालकर उनकी ठेलियों को बंद कर उन पर जुर्माना लगाकर अपनी पीठ थपथपाते हैं। लेकिन जो पुलिस की कारगुजारी को जानता है वह पुलिस की इस कार्यवाही को ट्टखिसयाई बिल्ली खम्बा नोंचे’ ही मानता है। क्योंकि मुख्य चौराहों चाहे वह ओरियन्ट चौक हो या फिर कनक चौक, लैसडाउन चौक, तहसील चौक आदि यहां पर खुलेआम लगी ठेलियां जाम को न्यौता देती दिखायी देती है लेकिन इन पर कार्यवाही करने के लिए पुलिस तो पुलिस नगर निगम प्रशासन भी मौन साधे हुए है। इसका कारण किसी के पास नहीं है कि यह किसी शह पर हो रहा है जिसके कारण पुलिस प्रशासन व निगम को अपनी आंखे मूंदने पर विवश किया हुआ है। यहां यह नहीं कि एक आधी कोई ठेली खडी है और कुछ देर बाद वह वहां से चली जाती होगी ऐसा नहीं है यह ठेलियां सुबह आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक खडी होती है और वह धडल्ले से वहां पर खडे होकर पुलिस को मुंह चिढाते है लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती कि उनके खिलाफ कोई कार्यवाही कर सके। जबकि ओरियंट चौराहा तो मुख्य केन्द्र है और यहां पर पुलिस अधिकारियों को आये दिन धरने प्रदर्शनों के कारण जमा होना पडता है उसके बावजूद उनको इन ठेलियों को नजरअंदाज क्यों करना पड़ता है।

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