लोकार्पण और शिलान्यास का अधिकार छीने जाने से मंत्री व विधायक नाखुश !

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  • मुख्य सेवक को तवज्जो ठीक लेकिन जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा गलत

देहरादून। बीते कल सरकार द्वारा जारी किए गए उसे आदेश को लेकर जिसमें मंत्रियों और विधायकों पर विकास योजनाओं के लोककर्पण और शिलान्यास करने पर प्रतिबंध लगाने और लोकार्पण व शिलान्यास सिर्फ मुख्यमंत्री द्वारा ही कराए जाने को कहा गया, को लेकर मंत्री और विधायक नाखुश हैं। अंदर खाने हो रही चर्चाओं की खास बात यह है कि इस फैसले का विरोध जताने के लिए कोई भी मंत्री और विधायक खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है।
इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ का कहना है कि 2024 के चुनाव के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्य प्रभावित न हो जहां जो विकास कार्य होने हैं उनका समय पूर्व डीपीआर तैयार हो सके और धन स्वीकृत हो सके तथा जो कार्य चल रहे हैं और चुनाव से पूर्व पूर्ण हो सकते हैं उनका लोकार्पण चुनाव आचार संहिता लागू होने से पूर्व हो सके इसलिए यह व्यवस्था की गई है। उनका कहना है कि इन कार्यक्रमों में मंत्री और विधायक मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे उनकी कोई उपेक्षा जैसी बात नहीं है।
नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा बीते कल सभी सचिवों व जिलाधिकारियों तथा मंत्रियों व विधायकों को इस तरह के आदेश दिए जाने के बाद से विधायक व मंत्री इसे लेकर नाखुश है। दबी जुबान में उनका कहना या सच यह है कि ठीक है प्रदेश का मुख्य सेवक होने के नाते सीएम धामी को महत्व दिया जाए लेकिन इस महत्व को लेकर मंत्रियों या विधायकों को यह भी एहसास नहीं होना चाहिए कि उनकी कोई अहमियत ही नहीं है या उपेक्षा की जा रही है। इस आदेश के बाद विधायक और मंत्रियों में बेचैनी और गहमागहमी भी देखी जा रही है।
हालांकि इस आदेश के साथ सरकार ने अपनी मंशा का भी खुलासा करने का प्रयास किया था कि जब योजना की कार्य प्रगति और स्थिति के बारे में सीएम को जानकारी रहेगी तो सिस्टम अधिक चुस्त दुरुस्त रहेगा और विकास योजनाओं को गति मिलेगी हालांकि सीएम खुद अभी भी तमाम योजनाओं की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। अब इस सवाल का कोई मतलब नहीं रह जाता है, तर्क वितर्क जारी है भले ही सबकी अपनी अपनी दलीलें हैं जो सही भी हैं लेकिन मंत्री व विधायक इस फैसले से खुश नहीं है भले ही कोई इसका विरोध करें या न करें।

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