भू कानून व मूल निवास का मुद्दा : दून की सड़कों पर उमड़ा जन सैलाब

0
125
  • राज्य भर से हजारों की संख्या में पहुंचे लोग
  • समिति का गठन नहीं चाहिए, यह बताएं कानून कब?

देहरादून। उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास प्रमाण पत्र के मुद्दों को लेकर राज्य के तमाम राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों द्वारा स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया गया। भले ही इसका आयोजन किसी एक दल या संगठन द्वारा नहीं किया गया था, लेकिन इस स्वाभिमान महारैली में जिस तरह हजारों की संख्या में जन सैलाब उमड़ा उसने दून के लोगों को राज्य आंदोलन की याद दिला दी।
रैली के संयोजक व मूल निवास भू कानून समन्वय समिति के सदस्यों का कहना है कि हमने किसी को नहीं बुलाया है। आज जो भीड़ इस महारैली में दिख रही है वह सब र्स्फूत है। राज्य के कोने—कोने से लोग स्वयं यहां आए हैं और उनका उद्देश्य राज्य की सरकार को कुंभकर्णी नींद से जगाना है। इस रैली में राज्य के 50 से अधिक सामाजिक संगठनों के लोगों ने भाग लिया वहीं कांग्रेस सहित तमाम गैर भाजपा दलों ने अपना सक्रिय समर्थन दिया है।
समिति के संयोजक मोहित डिमरी का कहना है कि आज राज्य के लोग राज्य के हालात देखकर हैरान परेशान है भले ही राज्य में कितना भी विकास हुआ हो लेकिन राज्य में जिस तरह से राज्य की जमीनों की लूटपाट हुई है और सरकारों ने अभी तक ऐसा सशक्त भू कानून नहीं बनाया है और न इस लूट पाट को रोकने का प्रयास किया है उससे प्रदेश के लोगों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों द्वारा मूल निवास प्रमाण पत्र को समाप्त कर बाहर के लोगों को राज्य में जिस तरह से घुसपैठ का मौका दिया गया उसके कारण 40 लाख बाहरी लोग राज्य में आकर बस गए। जिसके कारण राज्य के लोगों के हक हकूक पर डाका मारी होती रही है।
उन्होंने कहा कि मूल निवास की कट ऑफ डेट को जब तक 26 जनवरी 1950 नहीं किया जाता है उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हमने अपने जल—जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़ी थी लेकिन राज्य बनने के बाद हमारे जल जंगल और जमीन ही सुरक्षित नहीं बचेंगे तो हम उत्तराखंड के लोग कहां जाएंगे। इस आंदोलन में शामिल लोगों की मांग है कि हमें सरकार से समितियां का गठन नहीं चाहिए हमें तो सरकार यह बताएं कि वह राज्य में कब एक सशक्त भू कानून ला रही है जिससे जमीनों की लूटपाट रोकी जा सके और कब मूल निवास पर कानून लाया जा रहा है जिससे नौकरियों में बाहरी लोगों पर रोक लगाई जा सके।
महारैली में भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए थे लेकिन जैसे—जैसे रैली परेड ग्राउंड से आगे निकली सभी इंतजाम ध्वस्त नजर आए। भारी भीड़ के कारण पूरा शहर जाम हो गया। रैली शहीद स्थल पर जाकर समाप्त हुई रैली में उमड़ी हजारों की भीड़ व ढोल नगाड़े के साथ आए लोगों ने 1994 के राज्य आंदोलन की यादों को ताजा कर दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here