नया संसद भवन नहीं बनाना चाहिए था : नीतीश कुमार
नई दिल्ली। देश की नई संसद के उद्घाटन को लेकर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह से दूरी बनाने का ऐलान किया है, जबकि एनसीडी घटक समेत 25 दल इसमें शामिल होंगे। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री द्वारा कल नए संसद भवन के उद्घाटन करने पर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति के हाथों से नई संसद का उद्घाटन होना चाहिए, पीएम मोदी से नहीं।।। इस बीच विपक्षी पार्टियों के मतों से इतर गुलाम नबी आज़ाद ने बड़ा बयान दिया है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में अगर होता तो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में जरूर जाता। मैं केंद्र सरकार को रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए बधाई देता हूं। विपक्ष भी सरकार को बधाई देती, लेकिन वह बहिष्कार कर रहा है। मैं इस विवाद के खिलाफ हूं। राष्ट्रपति भी कौन सा विपक्ष का है? वह भी भाजपा के सांसदों द्वारा चुने गए हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अलग ही बयान देते हुए कहा कि नया संसद भवन नहीं बनना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार पुराना इतिहास बदलना चाहती है। मीडिया से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, ‘शुरू में भी बात हो रहा था कि ये (संसद भवन) बन रहा है, तो भी हमको अच्छा नहीं लग रहा था। ये तो इतिहास है, आजादी हुई तो जिस चीज की जहां पर शुरूआत हो गई, उसे वहीं पर विकसित कर देना चाहिए।अलग से बनाने का कोई मतलब नहीं है। क्या पुराना इतिहास ही बदल दीजिएगा? हमको अच्छा नहीं लग रहा है कि ये नया संसद भवन बना रहे हैं। पुराना इतिहास बदलना चाहते हैं बस। नया संसद भवन नहीं बनाना चाहिए था। जो पुराना संसद भवन था उसी को सही करना चाहिए था। मैं तो इसके खिलाफ हूं। ये लोग सब इतिहास बदलना चाह रहे हैं। बेकार है वहां जाना। कोई मतलब नहीं है वहां जाने का। क्या जरूरत है वहां जाने की और उस भवन को बनाने की।’