हरदा और हरक फिर आमने—सामने

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  • हरिद्वार सीट पर दावेदारी को लेकर तनातनी
  • आरोप—प्रत्यारोप की कर रहे हैं बौछार

देहरादून। हरिद्वार संसदीय सीट पर टिकट की दावेदारी को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत और डॉक्टर हरक सिंह के बीच तकरार अब उसे सीमा तक पहुंच चुकी है कि दोनों ही एक दूसरे को कांग्रेस तथा उत्तराखंड के लिए अभिशाप बता रहे हैं। उनके बीच जिस तरह का वाद विवाद जारी है उसे लेकर पार्टी के दूसरे नेता भी हैरान परेशान हैं वहीं भाजपा के नेता भी खूब चुटकी ले रहे हैं।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने अभी डा. हरक सिंह द्वारा हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करने के सवाल पर कहा था कि अभी डा. हरक सिंह अपनी गलतियों के लिए प्रायश्चित तो कर ले। उनका कहना है कि यह कैसे हो सकता है कि जहां भी जो कुछ मिले बस गपा गप—गपा गप। और तो और पार्टी के सैकड़ो हजारों कार्यकर्ता हैं या फिर सारे कुछ पर उनका ही एक अधिकार है बाकी के लिए कुछ नहीं। हरीश रावत का कहना है कि 2016 में उन्होंने जो किया उस नुकसान की भरपाई अभी तक कांग्रेस नहीं कर पाई है। 2017 में हम चुनाव हार गए कांग्रेस की जो दुर्दशा हुई उसे पाप के लिए कौन जिम्मेदार है। जब बगावत की थी तो अब थोड़ा बलिदान तो करना ही पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की इस बयान से भन्नाए डॉ. हरक भी भला कब चुप रहने वाले थे। उन्होंने भी हरीश रावत पर उनके अंदाज में हमला बोलते हुए कहा कि अगर मेरा इतना ही बड़ा दोष था तो मुझे 2022 में फिर पार्टी में शामिल ही नहीं करना चाहिए था। 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्हें टिकट नहीं दिया गया और उन्हें कितनी सजा देना चाहते हैं। हरक सिंह का कहना है कि पार्टी को किसने कितना नुकसान पहुंचाया है मुझसे ज्यादा अच्छी तरह वह खुद जानते हैं। अगर वह अभी भी गड़े मुर्दों को उखड़ेंगे तो फिर तो बहुत कुछ है। कांग्रेस की लगातार हार के लिए कोई और नहीं सिर्फ वही जिम्मेदार है। वह कांग्रेस ही नहीं प्रदेश की राजनीति के लिए भी अभिशाप बन चुके हैं। वह न कभी कांग्रेस के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं न प्रदेश के लिए।
भले ही अभी लोकसभा चुनाव में कुछ महीनो का समय शेष हो लेकिन हरीश रावत और हरक सिंह जैसे नेताओं के बीच की यह अदावत यह बताने के लिए काफी है कि 2024 के चुनाव में कांग्रेस की क्या स्थिति रहने वाली है। इसे लेकर पार्टी के बड़े नेता भी हैरान परेशान हैं लेकिन सामने आकर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के कई नेता तो इन दोनों को ही कांग्रेस और राजनीति से संन्यास तक लेने की सलाह देते दिख रहे हैं। वहीं भाजपा के नेता इस सूरते हाल का खूब मजा ले रहे हैं। उनका कहना है कि वह पुराने कांग्रेसी हैं कांग्रेस की पुरानी परंपराओं को ही आगे बढ़ा रहे हैं।

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