बर्बरता बर्दाश्त नहीं

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उदयपुर की घटना ने पूरे देश और समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह अच्छा है कि आरोपियों की गिरफ्तारी से इस अति संवेदनशील मामले के तमाम पहलुओं का खुलासा हो गया है। देश में रहकर देश के खिलाफ सोचने और करने वालों का बेनकाब होना बहुत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है ऐसे संगठनों और ताकतों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाना। अच्छी बात यह है कि अब सभी राज्यों और केंद्र की सरकार इसे लेकर संजीदा है। उदयपुर की बर्बर वारदात को अंजाम देने वाले लोगों का दावत ए इस्लामी का सदस्य होना और उनकी ट्रेनिंग पाकिस्तान में होने से यह साफ हो गया है कि देश में अनेक इस्लामी संगठन है जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान की इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में अब दावत ए इस्लामी संगठन से जुड़े लोगों की कुंडली तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। भारत में इस संगठन ने 1979 से काम करना शुरू किया था और अब इस संगठन का मकड़जाल पूरे देश में फैला हुआ है और लाखों लोग इससे जुड़े हैं। अकेले कानपुर शहर में इसके 2000 से अधिक सक्रिय सदस्य बताएं जा रहे हैं। इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी जा चुकी है आरोपी इस घटना का वीडियो वायरल कर खुद ही अपने गुनाह का सबूत पेश कर चुके हैं। उनकी आत्मघाती इस बहादुरी की सजा उन्हें मिलना तय है उनके द्वारा देश व देशवासियों को डराने के इरादे से जो कुछ किया गया उसमें वह नाकाम हो चुके हैं उन्हें और उनके जैसे अन्य तमाम लोगों को यह बहुत जल्द पता चल जाएगा कि उनके जैसे लोगों का क्या अंजाम होता है? भले ही इस घटना का उद्देश्य कुछ भी रहा हों लेकिन यह घटना देश और देश के लोगों को सतर्क करने वाली है। जो लोग किसी भी मामले में मुस्लिमों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई किए जाने की बात करते हैं वह आज राजस्थान की इस बर्बरता पूर्ण कार्यवाही पर खामोश क्यों हैं? बताते क्यों नहीं कि इस घटना को किसने अंजाम दिया है केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने साफ कहा है कि इस तरह की तालीम मदरसों में ही दी जाती है कि ईशनिंदा करने वालों का सर कलम कर दो। यह कितना हास्यपद है कि जिन मदरसों को सरकार आर्थिक मदद दे रही है उन मदरसों से ही देश और समाज के खिलाफ काम करने वालों की फौज खड़ी की जा रही है। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं और हुर्रियत का सच अब सभी के सामने आ चुका है। जिन्हें अब तक हमारी सरकारों द्वारा हजारों करोड़ की मदद दी जाती रही वही लोग देश के खिलाफ रहे जो अब सलाखों के पीछे हैं। देश की सरकार अभी सबका साथ और सबका विकास के फार्मूले पर काम कर रही है। कोरोना कॉल में ही नहीं सभी सरकारी योजनाओं का लाभ देश के मुसलमानों को समान रूप से मिल रहा है लेकिन सरकार के खिलाफ उन्हें भड़काने वाले नेताओं और मुस्लिम धर्मगुरुओं की भी कमी नहीं है। आज भी मुस्लिमों के लिए भारत ही सबसे सुरक्षित देश माना जाता है जहां उन्हें हर तरह की आजादी है जो अन्य नागरिकों को है इस बात को उन्हें समझने की जरूरत है लेकिन किसी को यह मुगालता भी नहीं होना चाहिए कि वह हिंदुस्तान में तालिबानी हुकूमत चला सकते हैं। भारत के लोकतंत्र में उदयपुर जैसी बर्बरता के लिए न तो कोई जगह है न उसे बर्दाश्त किया जा सकता है।

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