आसान नहीं है 2024 का चुनाव

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भले ही सांगठनिक स्तर पर कांग्रेस कमजोर रही हो और विपक्षी गठबंधन इंडिया भी प्रभावी तरीके से जमीन पर उतरने में पूरी तरह से सफल न रहा हो लेकिन इस सबके बावजूद भी 2024 के चुनाव में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन भाजपा और उसके गठबंधन एनडीए को कड़ी चुनौती देने की स्थिति में जरूर आकर खड़े हो गए हैं। यही कारण है कि भाजपा जिसने कुछ समय पहले अबकी बार 400 पार का नारा दिया था वह तीसरी बार सत्ता में आने व सत्ता में बने रहने के लिए संघर्ष करती दिख रही है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को चुनावी मुकाबले में लाने में कुछ न्यायालीय फैंसलों और राहुल गांधी की भारत जोड़ो और सामाजिक न्याय यात्रा की भी अहम भूमिका रही है। इसके अलावा अब कांग्रेस का वह घोषणा पत्र भी है जिसमें कांग्रेस द्वारा पांच न्याय और 25 गारंटी देते हुए न्यायपालिका और संसदीय व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का वायदा देश की जनता से किया है। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग रोकने और प्रेस की स्वायत्तता तथा अभिव्यक्ति की आजादी को बरकरार रहने की घोषणा की गई इस न्याय पत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण, युवाओं को रोजगार और किसानों को एमएसपी का कानून कथा कर्ज माफी के साथ बहुत सारे ऐसे वायदे किए गए हैं जो आम और गरीब अवाम को राहत पहुंचाने वाले हैं। कांग्रेस ने इस घोषणा पत्र के जरिए एक ऐसी लकीर खींची है कि अब भाजपा को यह समझ नहीं आ रहा है कि वह अपने दृष्टि पत्र में किस मुद्दे पर क्या कहें। भले ही भाजपा के नेताओं द्वारा कांग्रेस की इस न्याय पत्र का यह कहकर उपवास उड़ाया जा रहा हो कि कांग्रेस को पता है कि सत्ता में तो आना है नहीं इसलिए कहने में क्या जाता है कुछ भी कह दो या कुछ भी लिख दो। भाजपा के नेताओं द्वारा कांग्रेस के इस घोषणा पत्र पर जितने भी सवाल उठाए जा रहे हैं या जितनी ज्यादा चर्चा की जा रही है वह यह बताने के लिए काफी है कि इस न्याय पत्र को लेकर वह कितनी चिंतित है। इस न्याय पत्र को मुस्लिम लीग का न्याय पत्र बताये जाने से लेकर कपोल—कल्पित कह इसे झूठ का पुलिंदा बताने और यह कहे जाने कि इसमें जो वायदे किए गए हैं उन्हें पूरा किया ही नहीं जा सकता है, जैसी बातें जो भाजपा के नेता कर रहे हैं वह क्यों कर रहे हैं यह विचारणीय है। सच यह है कि इस न्याय पत्र की गारंटीयों के सामने मोदी की गारंटी का अभियान बदरंग हो गया है कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का कहना है कि चुनावी घोषणा पत्र को लेकर भी भाजपा का हिंदू—मुस्लिम का राग अलापने पर उतर आना भाजपा नेताओं की बौखलाहट को ही बताता है। 2024 का यह चुनाव भाजपा के लिए 2014 व 19 की तरह आसान रहने वाला नहीं रहा है। राहुल की यात्राओं और विपक्ष की एकता और वह भ्रष्टाचार का मुद्दा जिसे लेकर न्यायालय के कुछ फैसले अभी आए हैं और कुछ आने वाले हैं, से इस चुनाव की हवा जिस तरह से बदली है उसने इस मुकाबले को बहुत ही संघर्षपूर्ण बना दिया है। अभी तो चुनाव शुरू होने में 10 दिन का समय शेष है इन 10 दिनों में हवा का रुख और कितना बदलता है यह आने वाला समय ही बताएगा। यही नहीं सातवें चरण तक जाते—जाते क्या होगा यह भी अति महत्वपूर्ण होगा।

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