यह राजनीति का कौन रंग रे

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लोकसभा चुनाव से ऐन पूर्व राजनीति में जिस तरह से उठा पटक देखी जा रही है उसे देखकर राजनीति के पंडित भी हैरान और परेशान हैं कि यह आखिर हो क्या रहा है और देश की राजनीति आखिर किस दिशा और दशा में जा रही है। इसे समझ पाना अब किसी के लिए भी आसान नहीं रह गया है। नीतीश कुमार जिन्हें मिस्टर क्लीन और सुशासन बाबू कहा जाता है और वर्तमान में जो बिहार के सीएम भी हैं तथा जदयू के अध्यक्ष भी वह एक बार फिर पलटी मारने जा रहे हैं। भाजपा और एनडीए जिसने उनके लिए अपने दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए थे वह अब बाहें फैला कर उनके स्वागत को तैयार है। ऐसा क्यों? इसके जवाब में राजनीति के जानकारों का मानना है कि भले ही भाजपा राम लहर पर सवार हो चुकी हो लेकिन इस चुनाव में अबकी बार 400 पार का दावा करने वाली भाजपा अपने दम पर 272 तक भी नहीं पहुंच पा रही है। जिसने 2019 में 303 सीटें जीती थी अब भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश को साथ रखना उसकी मजबूरी बन गया है। नीतीश के साथ रहने पर उसने पिछले चुनाव में 40 में से 39 सीटें बिहार में जीती थी। एक खास बात यह है कि भले ही विपक्षी लोग नीतीश कुमार को अब पलटू राम कह रहे हो लेकिन बिहार के लोगों की नजर में नीतीश क्या है और बिहार की राजनीति में उनकी राजनीतिक हैसियत और कद कितना बड़ा है यह बिल्कुल दो अलग—अलग बातें हैं। उनके जैसा साफ सुथरी छवि का और ईमानदार तथा जनता के लिए काम करने वाला कोई दूसरा नेता है ही नहीं। अभी—अभी उनके नेतृत्व वाली सरकार ने बिहार में दो लाख युवाओं की शिक्षकों के तौर पर भर्ती की है। उन्होंने बिहार में शराबबंदी जैसे बड़े फैसले सिर्फ लिए ही नहीं वह उन पर अडिग भी रहे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब एनडीए से अलग हुए थे तब स्थितियां अलग थी और अब जब वह एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बनने जा रहे हैं तब स्थितियां अलग तरह की है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2024 के आम चुनाव में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए जो इंडिया का गठबंधन बनाया गया उसके नेताओं द्वारा जिस तरह आपसी कुर्ता घसीटन की जा रही है उसमें नीतीश को अपना और जनता दल यूनाइटेड का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है। उनके इंडिया गठबंधन से अलग होने का सीधा मतलब है कि 2024 के लिए भाजपा और एनडीए के लिए रास्ता पूरी तरह से साफ। फिर उसके विजय रथ को कोई नहीं रोक सकेगा। बीते कल सपा प्रमुख अखिलेश यादव का एक बयान आया है वह नीतीश को पीएम का चेहरा घोषित करने की बात कह रहे हैं। ममता और अखिलेश तथा भगवंत मान जैसे नेताओं को इतनी भी राजनीतिक समझ नहीं है कि अब अवसर हाथ से निकल चुका है यह सब सोचने व कहने का अब कोई फायदा नहीं है। लालू यादव के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री नीतीश को चेतावनी दे रहे हैं कि वह नीतीश को आसानी से बिहार में फिर सत्ता परिवर्तन नहीं करने देंगे यह उनकी बड़ी नासमझी है नीतीश क्या करेंगे और क्या कर सकते हैं वह उसके बारे में कभी सोच भी नहीं सकते हैं। आने वाले समय में क्या होने वाला है यह जानने वह देखने के लिए उन्हें अभी एक—दो दिन इंतजार करना होगा लेकिन नीतीश वही करेंगे जो उन्हें करना है और करना चाहिए।

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