जनता गरीब नेता अमीर

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देश के आम आदमी खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के मन में कभी—कभी यह सवाल जरूर उठता है कि हाड़ तोड़ मेहनत और रात दिन खून पसीना बहा कर भी वह अपनी आर्थिक बदहाली से बाहर क्यों नहीं आ पाते जबकि देश के नेता देखते ही देखते कैसे लखपति से करोड़पति और अरबपति बन जाते हैं। जिस देश के 95 फीसदी नेता अमीर हो उस देश की 60 फीसदी आबादी अगर जैसे—तैसे गुजर बसर करती हो तो यह वास्तव में हैरान करने वाली बात ही है। लेकिन यह एक ऐसा सच है जिसे नकारा नहीं जा सकता है। जब राज्यों के विधानसभा चुनाव या आम चुनाव होते हैं तो उम्मीदवारों को एक शपथ पत्र के जरिए अपनी चल—अचल संपत्ति का ब्यौरा देना होता है। जिसके आधार पर मीडिया में खबरें आती है कि हमारे किस राज्य में या संसद में चुने गए प्रतिनिधि करोड़पति है। यह खबरें अगर 100 नहीं तो 90 फीसदी झूठी होती है क्योंकि अधिकांश नेता अपनी आर्थिक स्थिति की सही जानकारी नहीं देते हैं। यह बात अलग है कि गलत जानकारी देने वाले इन नेताओं की संपत्तियाें की न तो जांच करने वाला कोई है और न गलत शपथ पत्र देने पर उनको कोई सजा आज तक दी जा सकी है एक आम आदमी अगर शपथ पत्र में कोई गलत सूचना दे दे तो उसे तुरंत जेल भेजा जा सकता है लेकिन आज तक भ्रष्टाचारी व अपराधी नेताओ को विधानसभाओं व संसद भवन तक पहुंचने से रोका जा सके ऐसा कोई कानून देश में नहीं बना है। बात अगर देश के उच्च सदन कहे जाने वाली अगर राज्यसभा की की जाए तो यहां रसूखदार और धन्ना सेठ बड़ी आसानी से पहुंच जाते हैं क्योंकि उनका चुनाव जनता के सीधे वोट से नहीं होता है। बीते कई दिनों से उड़ीसा के कांग्रेसी सांसद धीरज साहू खबरों की सुर्खियों में है। क्योंकि आईटी विभाग की छापेमारी में उनके ठिकानों से इतनी रकम बरामद हुई है कि इससे पूर्व किसी नेता या कारोबारी से इतनी रकम नहीं बरामद हुई है। 5 दिन तक दिन रात चली गिनती जिसमें 40 नोट गिनने वाली मशीन भी हांपने लगी 351 करोड़ पर जाकर समाप्त हुई। साहू से बरामद यह रकम वह रकम है जिसे आयकर अधिकारी ढूंढ पाए हैं अभी कुछ ऐसी रकम हो सकती है जो पकड़ से बाहर हो। खास बात यह है कि 2018 में साहू ने अपने चुनावी शपथ पत्र में लगभग 35 करोड़ के आसपास अपनी चल अचल संपत्ति घोषित की थी लेकिन आयकर विभाग को इससे 10 गुना से ज्यादा नगदी ही बरामद हो चुकी है। हीरे जवाहरात सोना चांदी और परिसंपत्तियों की बात ही छोड़ दीजिए। आयकर विभाग ने 2019 में कानपुर में एक इत्र व्यापारी के ठिकानों पर छापेमारी कर 257 करोड़ का कैश बरामद किया था। कारोबारी का सपा से संबंध सामने आया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब भारतीय करेंसी को इलीगल होने व नई करेंसी जारी करने की घोषणा की थी तो उसका उद्देश्य काले धन को चलन को बाहर करना बताया गया था लेकिन नोटबंदी से कितना काला धन चलन से बाहर हुआ इस सवाल को छोड़ भी दीजिए तब भी आज इस बात को दावे से कहा जा सकता है कि न तो डिजिटल इंडिया का फार्मूला काले धन पर रोक लगा सका है और न नोटबंदी का काले धन पर कोई असर हुआ है। यह बात कोई मायने नहीं रखती की साहू का बहुत पुराना रिश्ता कांग्रेस से रहा है। लेकिन इस काजल की कोठरी में सब कुछ स्याह ही स्याह है। पीएम मोदी और भाजपा के जो नेता साहू को कांग्रेसी बताकर इस पर राजनीति कर रहे हैं उन्हें इस काले धन की समस्या और भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगे इस पर सोचने की जरूरत है। केंद्र में 10 सालों से भाजपा की सरकार है। पीएम मोदी अपने तीसरे टर्म में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का दावा कर रहे हैं अच्छा होता कि वह भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्त भारत की गारंटी के साथ आगे आते। तेरे कुर्ते से मेरा कुर्ता अधिक साफ की राजनीति कतई भी अच्छी नहीं है। विधानसभाओं और संसद में अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को पहुंचने से कैसे रोका जाए यह बात वर्तमान परिवेश में ज्यादा महत्वपूर्ण है। किसी विधायक या संासद से इतना काला धन मिलना निसंदेह बहुत ही गंभीर मामला है। साहू से इस संपत्ति की आय का स्रोत पूछा जाना भी जरूरी है और अगर यह अवैध तरीके से कमाया गया धन है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही भी होनी चाहिए साथ ही कांग्रेस को चुप्पी तोड़ते हुए उन्हें तुरंत पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए। संसद की गरिमा व उसे बनाए रखने तथा लोकतंत्र की हिफाजत के लिए यह अत्यंत ही जरूरी है।

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