बढ़ती महंगाई, बड़ी चुनौती

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खाघ वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में हो रही बेतहाशा वृद्धि से थोक महंगाई दर ने बीते 30 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वही खुदरा महंगाई दर भी 8 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार थोक महंगाई दर इस समय 15.68 फीसदी पर पहुंच गई तथा खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि महंगाई दर के बढ़ने में सबसे बड़ी भूमिका कच्चे तेल और खाघ वस्तुओं खासतौर पर सब्जियों की बढ़ती कीमतों का अहम योगदान रहा है। अभी बीते दिनों रिजर्व बैंक द्वारा रेपोरेट में बढ़ोतरी कर दी गई थी अब संभावना जताई जा रही है कि अगले महीने मौडिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दर बढ़ाई जा सकती है। बीते कुछ महीनों में पेट्रोल और डीजल तथा रसोई गैस की कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि का असर अन्य आम उपभोग की वस्तुओं पर भी पड़ा है। बात अगर सब्जियों के दामों की की जाए तो मार्च में यह 19.9 फीसदी थी जो अप्रैल में 23.2 फीसदी हो गई। खासतौर पर आलू टमाटर, मटर के दामों में भारी वृद्धि हुई है। वर्तमान समय में टमाटर के दाम 55 रूपये प्रति किलो चल रहे हैं जबकि आलू 20—25 रुपए किलो है पैकिंग वाले दूध के दामों में 2 से 3 रूपये तक की वृद्धि हो चुकी है। रसोई गैस सिलेंडर के दाम तो 2 साल में 2 गुना हो चुके हैं। गेहूं, चावल और दालों तथा खाघ तेलों के दाम भी 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। अभी बीते दिनों एक समाचार आया था कि सरकार द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले मुफ्त राशन में अब गेहूं नहीं दिया जाएगा सिर्फ चावल दिया जाएगा। दो दिन पूर्व समाचार आया कि सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। तर्क था कि भारत ने अपनी घरेलू जरूरतों को पहले पूरा करने के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। लेकिन सच यह है कि इस साल भीषण गर्मी के कारण गेहूं की पैदावार कम हुई और बाजार में गेहूं की अधिक कीमत होने के कारण किसानों ने बाहर गेहूं बेचा है जिससे सरकारी खरीद भी कम ही है। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण भी महंगाई बढ़ी है तथा यूरोपीय देशों में गेहूं कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति प्रभावित हुई है। भले ही भारत का विश्व गेहूं निर्यात में 5 फीसदी हिस्सेदारी हो लेकिन भारत के इस फैसले का विरोध यूरोपीय देशों द्वारा किया जा रहा है। देश में गेहूं की बढ़ती कीमतों के कारण निर्यात पर प्रतिबंध जरूरी था अगर ऐसा नहीं किया जाता तो देश के सामने महंगाई का संकट और भी गंभीर हो सकता था। लेकिन अब तक जिस हिसाब से महंगाई बढ़ी है और उसका क्रम जारी है। इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश के गरीब तबके के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो जाएगी। आज एक चार—पांच सदस्यों के परिवारों को भी अपनी दैनिक जरूरतों पर पहले के मुकाबले 20 से 25 फीसदी अधिक खर्च करना पड़ रहा है और मध्यम वर्ग की बचत क्षमता शुन्य हो रही है। यह स्वाभाविक है कि अगर महंगाई बढ़ती रही तो इसका प्रभाव हमारी प्रगति को भी रोक देगा तथा विकास दर नीचे आएगी। यही कारण है कि महंगाई अब सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

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