पहलवानों की लड़ाई अब इज्जत तक आई

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महिला पहलवानों की लड़ाई अब देश की बेटियों की इज्जत और सम्मान की लड़ाई बन चुकी है। बीती रात जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर बैठी महिला पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई धक्का—मुक्की और हाथापाई में दो पहलवानों को चोटे भी आई है। रात भर चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद आज सुबह यह महिला पहलवान मीडिया के सामने रोती बिलखती नजर आई। उनका कहना है कि शराब पीकर कुछ पुलिसकर्मियों ने उनके साथ गाली—गलौज व धक्का—मुक्की की उनका यह भी आरोप है कि इस देश में अगर देश के लिए मेडल जीतने वाली महिलाओं का यही सम्मान और इज्जत है तो उन्हें ऐसी इज्जत और मेडल नहीं चाहिए। उधर पहलवान बजरंग पुनिया ने तो देश की बेटियों की इज्जत बचाने के लिए लोगों से जंतर—मंतर पहुंचने की अपील तक कर डाली। जिसके बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष टिकैत और आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी का बयान आया कि बेटियों को घबराने की जरूरत नहीं है सारा देश उनके साथ है। किसान नेताओं व आरएलडी अध्यक्ष सहित तमाम लोगों द्वारा अब दिल्ली की तरफ रुख किया जा रहा है। निसंदेह जिन महिला पहलवानों द्वारा अपनी इज्जत और सम्मान की लड़ाई को लेकर जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था वही देश को शर्मिंदा करने के लिए काफी था लेकिन अब उनके साथ गाली गलौज व मारपीट की घटना ने तो सारी हदें पार कर दी हैं। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर 7 महिला पहलवानों द्वारा शारीरिक और मानसिक शोषण के आरोप लगाए गए थे। इसी साल जनवरी में पहले अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया लेकिन राज्य खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इन महिला पहलवानों को इंसाफ दिलाने का भरोसा देकर उनका धरना प्रदर्शन समाप्त करा दिया गया था, लेकिन 100 दिन बीत जाने के बाद भी जब उनकी एक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई तो यह महिला पहलवान फिर जंतर मंतर पर बैठने पर विवश हो गई। हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली लेकिन वह अपने पद पर अभी भी बने हुए हैं। महिला पहलवानों की मांग है कि सरकार उन्हें भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटाए। इस मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है लेकिन उससे ठीक 12 घंटे पहले दिल्ली पुलिस का जो रवैया देखने को मिला है उसने आग में घी डालने का काम किया है। भले ही अब झगड़े को लेकर सभी अपना—अपना पक्ष रख रहे हैं लेकिन शासन—प्रशासन का जो शर्मनाक रवैया देखने को मिला है वह हैरान करने वाला ही है। एक बहुत अहम सवाल यह है कि क्या कोई भी नामचीन महिला बेवजह किसी पर यौन शोषण का आरोप लगा सकती है? यही नहीं जब सात महिला पहलवान इस तरह के आरोप बृजभूषण पर लगा रही हैं तो इसमें कुछ तो सच्चाई रही होगी? वरना अपनी इज्जत का इस तरह कोई भी खुद जुलूस क्यों निकालेगा। एक अन्य बात यह है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लोगों को 9 साल से अपने मन की बात सुना रहे हैं तो क्या उन्हें इन महिला पहलवानों के मन की बात नहीं सुननी चाहिए थी? पहलवानों की यह लड़ाई अब उस मुकाम पर पहुंच चुकी है जहां राजनीतिक दल और आम आदमी भी इसमें कूद पड़ा है तो इसका आर—पार होना तय है। लेकिन इस पूरे प्रकरण को लेकर देश की पूरे विश्व में छवि खराब हो रही है सरकार को कम से कम इसकी चिंता तो करनी ही चाहिए?

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