नई दिल्ली/देहरादून। चुनाव से पूर्व दो निर्दलीय एक कांग्रेस समर्थित विधायक को अपने पाले में खींच कर ले जाने वाली उत्तराखंड भाजपा को आज उस समय कांग्रेस से बड़ा झटका लगा जब धामी सरकार में काबीना मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य ने भाजपा का दामन झटक कर फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
यशपाल आर्य जो न सिर्फ छह बार के विधायक रहे हैं बल्कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ ही सूबे के सबसे बड़े दलित नेता का चेहरा भी माने जाते हैं उनके दोबारा फिर कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस को जो बल मिला है वह तो मिला ही है साथ ही उनके जाने से भाजपा को बड़ा नुकसान भी पहुंचा है। उनका कद कितना बड़ा है तथा दलित मतदाताओं पर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है इस बात को इससेे भी समझा जा सकता है कि 2017 के चुनाव में वह खुद तो चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे ही थे उनके बेटे संजीव आर्य भी नैनीताल सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे थे।
कांग्रेस मुख्यालय नई दिल्ली में आज यशपाल आर्य और संजीव आर्य ने फिर से कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर तमाम केंद्रीय नेताओं के अलावा पूर्व सीएम हरीश रावत भी मौजूद रहे। जिन्होंने अभी कुछ दिन पूर्व ही यह बयान दिया था कि अगर कांग्रेस किसी दलित नेता को सीएम का चेहरा बनाती है तो वह अपनी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को छोड़ देंगे। उनके इस बयान के बाद से ही यह चर्चा शुरू हो गई थी कि कहीं यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी तो नहीं हो रही है। जो आज उनके कांग्रेस की सदस्यता लेते ही सच साबित हो गई है।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके कांग्रेस में वापसी पर खुशी जताते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस के शरीर के एक अहम अंग जो किसी कारणवश कटकर अलग हो गया था आज वह फिर हमारे शरीर के साथ जुड़ गया है। समारोह में मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल ने यशपाल आर्य व उनके बेटे संजीव कुमार को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई तथा नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और हरीश रावत ने उन्हें पट्ठा पहनाकर तथा पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया।
भाजपा द्वारा लगातार एक के बाद एक तीन विधायकों जिनमें निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार, राजकुमार और राम सिंह कैड़ा को अपने कुनबे में शामिल कर भाजपाई नेता कांग्रेस को यह कहकर मुंह चिढ़ा रहे थे कि कांग्रेस में भगदड़ मची है लेकिन सभी को तो भाजपा में जगह नहीं मिल सकती है इसलिए उन्हें हाउसफुल का बोर्ड लगाना पड़ेगा। लेकिन आज कांग्रेस ने दो भाजपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर उसे करारा जवाब दिया है। भाजपा को शायद तीन विधायकों से उतना फायदा होने वाला नहीं है जितना नुकसान अकेले यशपाल आर्य के जाने से होगा। कांग्रेस ने यशपाल आर्य को अपने पाले मे लाकर सौ सुनार की एक लोहार की वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है। दलबदल का यह सिलसिला अभी यही नहीं थमने वाला है अभी कई अन्य भाजपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा भी हवाओं में तैर रही है।