चुनाव के समय ही क्यों सुलझा परिसंपत्ति विवाद

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चमत्कारः एक दिन में सुलझा 21 साल पुराना विवाद
विवाद कितना सुलझा, कुछ दिनों बाद पता चलेगाः कांग्रेस

देहरादून। इसे चमत्कार कहें कि ट्रिपल इंजन सरकार का कमाल। उत्तराखंड की धामी सरकार ने उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर जो विवाद चला रहा था उसे उन्होंने एक ही दिन में सुलझा लिया गया है।
असल में परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर 21 सालों से चला आ रहा यह विवाद कोई मामूली विवाद नहीं था। सिंचाई विभाग व वन विभाग और परिवहन विभाग सहित तमाम विभागों से जुड़ी हजारों एकड़ भूमि और हजारों सरकारी भवनों और उनसे होने वाली आय तथा उनके रख रखाव पर होने वाले खर्च से जुड़े इस विवाद को लेकर दोनों राज्यों के बीच भारी टकराव व तकरार की स्थिति बनी रही है। जिसे दोनों राज्य अदालतों तक ले जाते रहे हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इसे लेकर अब सीएम धामी द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह कोई विवाद था ही नहीं। दो भाइयों के बीच बंटवारे जैसा था। अगर यह विवाद इतना हल्का होता तो 21 सालों तक क्यों लटका रहता यह विचारणीय सवाल है।
केंद्र तथा उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड तीनों जगह भाजपा की सरकार होने के कारण इस समस्या का समाधान बताने वालों के पास इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं कि इन तीनों जगह चार साल पहले ही इन तीनों की सरकारें थी। दो—चार साल पहले इस विवाद का समाधान क्यों नहीं किया जा सका? चुनाव से चार महीने पहले का समय ही इसके लिए क्यों चुना गया? यह परिसंपत्तियों का बंटवारा और उसका विवाद क्या वाकई सुलझ गया है या फिर यह भी एक चुनावी स्टंट ही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि एक साल पहले 19 नवंबर 2020 को योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड दौरे पर आए थे उस समय भी भाजपा नेताओं ने उनसे वार्ता के बाद यह प्रसारित किया था कि परिसंपत्तियों के बंटवारे का विवाद सुलझा लिया गया है। अब तक तो उत्तराखंड को उसके हिस्से की फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है उनका कहना है कि भाजपा ने जो चुनावी सर्वे कराए हैं उनमें उसकी हार होने की संभावनाओं ने भाजपा को ऐसा करने पर विवश किया है। जिससे कुमाऊं मंडल में अपनी स्थिति मजबूत की जा सके। परिसंपत्ति विवाद कितना सुलझा है इसका सच आने वाले दिनों में सामने आ जाएगा।

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