मेरठ। पश्चिमी यूपी के कुख्यात अनिल दुजाना को एसटीएफ (विशेष कार्य बल) ने भरी दोपहर मेरठ में मार गिराया है। अनिल दुजाना दुस्साहसी बदमाश था जिस पर 18 हत्याओं सहित 62 संगीन मामले दर्ज थे।
सीएम योगी के विधानसभा में दिये गये बयान ट्टमाफिया को मिट्टी में मिला देंगे’ के बयान पर यूपी पुलिस लगातार कार्यवाही कर रही है। पिछले दिनों कुख्यात माफिया अतीक अहमर के बेटे असद और शूटर गुलाम को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया तो वहीं बिजनौर का बदमाश आदित्य राणा भी पुलिस की गोलियों का शिकार बन गया। इस क्रम में यूपी एसटीएफ द्वारा बीते रोज पश्चिमी यूपी के कुख्यात माफिया अनिल दुजाना को मेरठ में मुठभेड़ में मार गिराया गया है।
बता दें कि गाजियाबाद के बादलपुर का रहने वाला अनिल दुजाना जनवरी 2021 में ही जमानत पर जेल से बाहर आया था जिसके बाद से वह लगातार फरार चल रहा था। दुजाना पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जरायम की दुनिया में नाम कमाने के बाद दुजाना ने राजनीति के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाये और 2016 के पंचायत चुनाव में पहली बार दांव आजमाया, उस समय दुजाना जेल में था। जेल में रहकर ही दुजाना ने पंचायत चुनाव का पर्चा भरा। दुजाना की दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव के दौरान उसका विरोधी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर चुनाव प्रचार करता था। जिसके बाद जेल में रहने के बाद भी दुजाना ने अपने विरोधी प्रत्याशी संग्राम को 10 हजार वोटों से मात देकर चुनाव जीत लिया था।
बताया जा रहा है कि दुजाना पर पहला मुकदमा साइकल चोरी का लगा जिसने उसे अपराध की दुनिया की तरफ धकेल दिया। जिसके बाद उस पर 18 हत्याओं सहित रंगदारी, अपहरण, लूट, डकैती के 62 मुकदमें दर्ज किये गये। खबर यह भी है कि कैराना का कुख्यात मुकीम काला से भी दुजाना की दोस्ती थी। जिसे यूपी की जेल में मार दिया गया है। अनिल दुजाना का सपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का था, लेकिन हाईकोर्ट की रोक की वजह से उस दौरान यहां पर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव नहीं हो सके थे।
दुजाना गांव पहले भी रहा है सुर्खियों में
मेरठ। बादलपुर का दुजाना गांव कभी कुख्यात सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू के नाम से जाना जाता था। सत्तर और अस्सी के दशक में सुंदर का दिल्ली—एनसीआर में खौफ था। उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को जान से मारने की धमकी दे दी थी। इसी दुजाना गांव में ही अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना का जन्म हुआ था। पुलिस रिकॉर्ड में 2002 में गाजियाबाद के कवि नगर थाने में इसके खिलाफ हरबीर पहलवान की हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ।