कांग्रेस की गुटबाजी फिर चरम पर

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बात भारत जोड़ने की, लेकिन कांग्रेस को जोड़ना भी हुआ असंभव
विशेष संवाददाता देहरादून। भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से अपने आधार की मजबूती तलाशने में जुटी कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने आंतरिक मतभेद और मनभेदों से निपटने की है। प्रदेश प्रभारी उत्तराखंड आए तो थे भारत जोड़ो यात्रा का शुभारंभ कराने और पार्टी को एकजुट करने को लेकर लेकिन देवेंद्र यादव खुद विवादों का हिस्सा बनकर रह गए हैं। कल सीमांत गांव माणा से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का शुभारंभ तो जरूर हुआ लेकिन प्रदेश प्रभारी सहित तमाम बड़े कांग्रेसी नेताओं की गैरमौजूदगी के बाद आरोप—प्रत्यारोपों का जो दौर शुरू हुआ है उसने कांग्रेस के अंतरकलह को अपने चरम पर पहुंचा दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता विपक्ष की कुर्सी से दूर किए गए चकराता विधायक प्रीतम सिंह अपने ऊपर लगाए जाने वाले आरोपों से इस कदर आहत है कि आज मीडिया के सामने वह अपनी नाराजगी को नहीं छुपा सके। उनका कहना है कि उनके ऊपर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं उनसे वह यह पूछना चाहते हैं कि क्या उनके पास कोई एक भी सबूत है जब उन्होंने पार्टी और शीर्ष नेतृत्व की नीतियों के खिलाफ कभी एक शब्द भी बोला हो उनका कहना है कि जब लोगों ने यह आदत बना ली है कि मेरे खिलाफ जो चाहे सो बोले तो इसका उन पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। लोग अपने—अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि वह पार्टी के हित में कितना काम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कल कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने के समय पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रीतम सिंह सहित तमाम बड़े नेता नदारद दिखे थे। खुद प्रदेश प्रभारी जो इस यात्रा का शुभारंभ कराने के लिए दिल्ली से दून आए थे वह भी अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर यात्रा से दूर रहे। प्रदेश कांग्रेस नेता जहां हिस्से—हिस्से बंटे हुए हैं वहीं प्रदेश प्रभारी इस गुटबाजी का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में भला कांग्रेस में कैसे नव चेतना का संचार संभव है यह कांग्रेसी नेता ही समझ सकते हैं।

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