- आज दो राउंड में 65 लोगों को लाया गया
- अभी भी ढाई तीन सौ लोग फंसे हुए हैं
- अब तक 10 हजार के आसपास सुरक्षित निकाले
रुद्रप्रयाग। केदार घाटी में अतिवृष्टि और भूस्खलन के कारण रास्तों के बंद होने और सड़कों के बहने तथा पुलों के टूटने से फंसे श्रद्धालुओं को निकाले जाने के लिये बीते 5 दिनों से रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। मौसम की खराबी के कारण इस रेस्क्यू अभियान में आ रही रूकावटों के बीच इसे अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। रेस्क्यू अभियान में जुटे सेना के चिनकू और एमआई— 17 हेलीकॉप्टरों द्वारा आज भी दो राउंड में 65 श्रद्धालुओं को गोचर लाया गया लेकिन उसके बाद मौसम खराब होने के कारण रेस्क्यू कार्य रोकना पड़ा। सेना के जवानों का कहना है कि उन्हें हालांकि इस बात की जानकारी नहीं है कि केदार घाटी में अभी कितने और लोग हैं लेकिन उनका कहना है कि जब तक एक भी व्यक्ति को लाया जाना बाकी है तब तक वह यहीं डटे रहेंगे।
इस आपदा के बाद कितने लोग कहां फंसे हुए थे इसका कोई ब्यौरा किसी के भी पास नहीं था। केदारनाथ धाम, गौरीकुंड तक तमाम जगह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के फंसे होने से इनका रेस्क्यू आसान नहीं था। जो लोग पहाड़ के दुर्गम और खतरनाक पहाड़ी रास्तों पर फंसे हुए हैं उन्हें एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवानों द्वारा रेस्क्यू कर निकालने का काम किया गया जबकि केदारनाथ में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टरों से लाया गया। पैदल मार्ग पर फंसे 7—8 हजार लोगों को निकालना और उन्हें सर्च करने का काम अभी रामबाड़ा, लिंचोली व गौरीकुंड में जारी है। अब तक दो लोगों के शव भी बरामद हो चुके हैं।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रेस्क्यू किए जाने का काम आसान नहीं था। जो लोग सुरक्षित इस आपदा से बाहर निकल चुके हैं वह धामी सरकार के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं। लेकिन जो लोग अभी भी इधर—उधर कहीं भी फंसे हुए हैं उन्हें अपनी सुरक्षित वापसी की चिंता भी सता रही है। यात्रियों का कहना है कि इस दौरान स्थानीय लोगों ने भी उनकी भरपूर मदद की है जिसके लिए सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यही उत्तराखंड की असली ट्टअतिथि देवो भवः’ की संस्कृति है।