देहरादून। राजपुर रोड स्थित रेयर ट्रेजर्स में आज दो दिवसीय दून वैली चित्रकला कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस विशेष आयोजन में देहरादून के 10 प्रतिष्ठित कलाकारों ने भाग लिया। रेयर ट्रेजर्स, जो पिछले छह महीनों से कला और संस्कृति का केंद्र बना हुआ है, ने इस कार्यशाला के माध्यम से कला के उत्थान में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। यह केंद्र अपनी अनमोल पुरानी मूर्तियों, चित्रों, हस्तकला, धातु कला, और सजावटी एंटीक वस्तुओं के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
इस कार्यशाला में विभिन्न कला शैलियों और विधाओं का प्रदर्शन किया गया। वरिष्ठ कलाकार चंद्र बी. रसैली ने अपनी कलाकृति में देहरादून के शहरी परिदृश्य को जीवंत किया। प्रतिष्ठित कलाकार जाकिर हुसैन ने सिटी लाइफ को अमूर्त शैली में चित्रित कर अपनी विशिष्ट कला शैली का परिचय दिया।
रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष संतोष कुमार साहनी ने अपनी रचना में एल्युजन कला का उपयोग करते हुए रंगों के प्रकाश, और छाया का अद्भुत सामंजस्य प्रस्तुत किया। जिसमे पहाड़ो की रानी मसूरी को कैनवास पर जीवंत मूर्त रूप में उकेरे, देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. मंतोष यादव ने उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को रंगों के माध्यम से कैनवास पर उकेरकर दर्शकों को आकर्षित किया।
महिला कलाकार कहकशां ने अपनी कलाकृति में भारतीय लोक चित्रकला, प्रकृति, और पशु-पक्षियों का अद्भुत समागम प्रस्तुत किया। युवा कलाकार राहुल, जो ए-शोल कला संस्थान के संयोजक हैं, ने अपनी रचना सत्यम् शिवम् सुंदरम् के माध्यम से आध्यात्मिकता को मूर्त रूप दिया।
देहरादून की मुक्ता जोशी ने उत्तराखंड के लैंडस्केप को अमूर्त शैली में चित्रित किया। वहीं, रितेश शर्मा ने अपनी कलाकृति में प्राकृतिक दृश्यों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया। देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य पुंडीर ने अपनी अमूर्त रचना में महिला को सृजन की देवी के रूप में चित्रित कर दर्शकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की संयोजिका गिन्नी वासुदेव ने अपने संबोधन में भारतीय कला और संस्कृति के उत्थान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इसे हमारी अमूल्य धरोहर बताया जिसे प्रत्येक घर में संजोने की आवश्यकता है। सह-संयोजक राजेश वासुदेव (वासु) ने सभी कलाकारों को सम्मानित करते हुए उनके योगदान की सराहना की।
इस कार्यशाला में हजारों दर्शक शामिल हुए और कलाकारों की रचनात्मकता की सराहना की। इस आयोजन ने न केवल स्थानीय कलाकारों को एक मंच प्रदान किया, बल्कि दर्शकों को कला के विविध रूपों से जोड़ने का कार्य भी किया। कार्यक्रम में कुन जुयाल, स्नेहा, और देव ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
दून वैली चित्रकला कार्यशाला ने देहरादून की कला संस्कृति को एक नई पहचान दी है। इस आयोजन ने कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देकर कला के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कार्यशाला कला प्रेमियों और कलाकारों के लिए एक प्रेरणादायक मंच साबित हुई है।