- रेस्क्यू में लापरवाही पर जताई नाराजगी
- बोले गरीबों के आंसुओं की क्या कीमत
उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के परिजनों का धैर्य संयम भीं अब लगातार बढ़ते इंतजार के बाद जवाब देता जा रहा है। बिहार और उत्तर प्रदेश तथा झारखंड से आए कई मजदूरों के परिजनों से जब मीडिया कर्मियों ने बात की तो उनके आंसू झलक आए।
उनका साफ कहना है कि आज 9 दिन हो गए उन लोगों को अंदर फंसे। सरकार ने अगर सही कोशिश की होती तो वह उन्हें पताल से भी निकाल कर बाहर ले आई होती। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया है कि बीते तीन दिनों से कोई काम नहीं हो रहा है सिर्फ अब इस प्लान पर काम किया जाए और उस प्लान पर काम किया जाए यही सब बातें हो रही है। जबकि जो अंदर फंसे हैं उनकी जान पर बनी हुई है। उनका कहना है कि हर बार उन्हें यही कहा जा रहा है कि दो—तीन दिन में सभी को बाहर निकाल लिया जाएगा। कुछ लोगों ने कहा कि वह चार दिन से यहां पड़े हैं उनके तीन—चार दिन कब पूरे होंगे पता नहीं। कल गडकरी आए थे वह भी 3 दिन की बात कह रहे थे एक दिन तो बीत गया देखते हैं 2 दिन में क्या होता है?
इनमें से कुछ महिलाएं भी है जो पति और अपने देवर की तलाश में अपने मासूम बच्चों को गोद में लेकर यहां पहुंची हैं उनका कहना है कि अब तो बस आंखों से आंसू बहने के अलावा कुछ नहीं है। सरकार को सोचना चाहिए कि अगर उनका कोई अपना फंसा होता तो वह क्या करती लेकिन गरीबों के आंसुओं की कीमत क्या है। अगर कोई मर जाता है तो कुछ समय रोना पड़ता है लेकिन हमारे तो अपने जिंदा है फिर भी हमारे आंसू नहीं रूक रहे हैं। यहां अनुसंधान कार्य चल रहा है रेस्क्यू नहीं। उन्होंने कहा कि कंपनी और सरकार की लापरवाही का नतीजा है जो 9 दिन बाद भी इन लोगों को नहीं निकाला जा सका है और यह भी नहीं पता कि कब तक निकाल पाएंगे।