इस वर्ष गुरुवार होने से बसंत पंचमी की महता बढ़ गई है: आचार्य ममगांई

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देहरादून। उत्तराखंड में बसंत पंचमी की महता इसलिए भी अधिक बढ़ जाती है क्योंकि नरेंद्र नगर टिहरी दरबार राज दरबार में श्री बद्री विशाल जी का कपाट खुलने का दिन निकाला जाता है ।इसलिए उनसे सभी पर्व त्योहारों में मे वसंत पंचमी की महता अलग सी है वैदिक काल का पर्व है ,,वसंन्ते ब्राह्मणमुपनेयत् ,, सरस्वती के अनुसार इस पर्व पर उपनयन कर महर्षि अपनी विद्यापीठों में शिक्षण के लिए प्रविष्ट किया करते थे, क्षेत्रों को यह उल्लासमय ऋतु संबंधी पर्व समाज के विधि वर्गों में विविध रूप में मनाया जाता है विद्यार्थी शिक्षा प्रेमी जनों के लिए यह सरस्वती पूजा का महान पर्व है इस अवसर पर भगवती शारदा की पूजा के साथ-साथ संगीत नाटक ढोल दमांऊ आदि की कला मय उपहार द्वारा भी भगवती की आराधना की प्रथा प्राचीन काल से चली आती है गृहस्ती वर्ग के लिए यह आमोद प्रमोद उल्लास का पर्व है स्वयं प्रकृति भी नव विकसित पुष्पम का रंगीन आंचल और खिली हुई पीली सरसों की वसंन्ती साड़ी धारण किए आनंद विभोर हो झूम उठती है तब प्राणी समुदाय का तो कहना क्या प्रकृति के ही इस अनुकरण पर लोग भी पीले पीले वस्त्र धारण करके परस्पर गले मिलते और सभी के चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है पीले वस्त्र समृद्धी एवं उर्जा संचार का प्रतीक है इसलिए पीले वस्त्र पहनें चाहिए बसंत रितु राज है इस के आगमन के साथ ही सर्वत्र सुख शांति छा जाती है अन्य रितु यह तो सदा अपने प्रभाव से प्राणियों को सताती आती है गर्मी के झुलसाने वाली लूयें जाड़े का हड़कंप शीत और वर्षा का उत्पातिकरणी झाड़ियां प्रसिद्ध हैं परन्तु वसन्त इन सबमें मुक्त है साम्यावस्था को प्राप्त हुआ प्रकृति का यह रमणीय अति पृय लगता है इस वर्ष सरस्वती का वार गुरुवार होनें से 26 जनवरी उदय तिथी होनें के करण 10 बजकर 31 मिनट प्रातः तक बसन्त पंचमी है 25 जनवरी दिन के 12 बजकर 36 मिनट से शुरू हुई है ,बसन्त पंचमी का मूहुर्त अभूझ नाम से भी जाना जाता है इस दिन किसी भी समय कोई शुभ कार्य शुरू किया जाता है कल 26 जनवरी को बसंत पंचमी का पूजन का समय प्रातः मकर लग्न के अंतर्गत 7:00 से 8 बजकर13 मिनट तक पूजन का सर्वोत्तम समय रहेगा बसंत पंचमी का पर्व भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि एक बार मां सरस्वती ने भगवान कृष्ण को पति बनाने के लिए निवेदन किया लेकिन उन्होंने कहा मैं राधा के प्रति समर्पित हूं ज्ञान चाहने वाले लोग माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को आपका पूजन करेंगे जिसमें भगवान कृष्ण ने सबसे पहले सरस्वती का पूजन किया था इसलिए अधिष्ठाता कृष्ण जिसके प्रमुख देव कामदेव रति जिससे यह ऋतु काम की सहचर मानी जाती इसमें पंख फैलाए नाचते सुंदर मोर नदियों की कल कल मौसम की सुहानी हलचल यह सब देखकर लगता है कि बसंत पंचमी श्री पंचमी श्री सरस्वती पूजन तक्षक पूजा वागीश्वरी जयंती लेखनी पुस्तक पूजन रती कामदेव पूजन का शुभ धदिन है सरस्वती की मूर्ती का पूजन रोली चांवल फूल गुड़ बूंदी के लडू से होनाना चाहिए प्रातः विस्तर में ही सिन्दूर माथे पर लगाना और गुड़ खानें से विषैले जिवों का वर्षभर तक भय नहीं होता यह शुभ दिन है आप सभी को वसंत पंचमी की बहुत-बहुत बधाई।

आचार्य शिवप्रसाद ममगांई

ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत

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