उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच 21 सालों से चले आ रहे परिसंपत्तियों के बंटवारे का विवाद सुलझ गया है। उत्तराखंड राज्य सरकार व प्रदेश वासियों के लिए यह खबर निश्चित रूप से एक शुभ समाचार है। इतनी आसानी से और अचानक ऐसा कुछ हो सकता है इसकी संभावनाएं दूर—दूर तक भी नजर नहीं आ रही थी क्योंकि इस विवाद में तमाम सरकारी विभागों की परिसंपत्तियों आती थी और इन्हें लेकर तमाम वाद न्यायालय में भी विचाराधीन थे। इसलिए भी इस विवाद का चुटकी बजाते ही सुलझ जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है। अब अगर इस चमत्कार के पीछे के कारणों पर गौर करें तो यह चमत्कार तीन माह बाद होने वाले उत्तराखंड और यूपी विधानसभा चुनावों के कारण हुआ है। यह अकाट्य सत्य है कि अगर यूपी और उत्तराखंड तथा केंद्र में (तीनों जगह) भाजपा की सरकारें नहीं होती तब भी इस विवाद का इतना आसान हल संभव नहीं था। यह अलग बात है कि इस विवाद के समाधान का उत्तर प्रदेश के चुनावों पर क्या असर पड़ता है लेकिन उत्तराखंड के चुनाव में भाजपा को इसका बड़ा लाभ जरूर हो सकता है। लेकिन इससे सिर्फ भाजपा को ही फायदा नहीं होगा उत्तराखंड राज्य को इसका उससे भी अधिक लाभ मिलेगा। इस परिसंपत्ति बंटवारे के विवाद के कारण उत्तराखंड की अनेक परिसंपत्तियों का लाभ उत्तराखंड को नहीं मिल पा रहा है जबकि उनके रख रखाव पर खर्च राज्य सरकार कर रही थी, क्योंकि यह परिसंपत्तियां उत्तराखंड की धरती पर थी। हालांकि अभी इस विवाद पर कागजों पर समाधान हुआ है तथा धरातल पर समाधान में कुछ बाधाएं आने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। सिंचाई विभाग की 5700 हेक्टेयर भूमि और उसमें बने 1700 से अधिक भवनों का बटवारा दोनों राज्यों की संयुक्त टीमों द्वारा किए जाने वाले सर्वे के आधार पर होना तय हुआ है। जिसमें परिसंपत्तियों की कीमत और किस राज्य के लिए उसकी अधिक उपयोगिता है, के आधार पर किया जाएगा जिसकी एक लंबी प्रक्रिया होगी। भले ही आज यह बात आसानी से कहीं जा रही सही कि जो भी जिस राज्य को अच्छा लगेगा वह उसे ले लेगा और दूसरा उसे छोड़ देगा, लेकिन इसमें व्यवहारिक दिक्कतें जरूर आएगी। आवास विकास की परिसंपत्तियों आधी—आधी कर ली जाएगी तथा दोनों राज्यों की सरकारें न्यायालयों में जारी वादों को वापस ले लेगी। यह एक उचित पहल जरूर है। इस बंटवारे से उत्तराखंड सरकार के आय के नए संसाधन और बढ़ेंगे। विवाद के चलते जिन पर्यटक स्थलों पर साहसिक पर्यटन पर रोक लगा दी गई थी उसे हटाए जाने से रोजगार और आय के नए रास्ते खुलेंगे वन विभाग और परिवहन विभाग को इस बंटवारे से 90 व 205 करोड़ मिल सकेंगे। देखना यह है कि यह फैसले अब धरातल पर कब तक उतर पाते हैं और कब तक इस विवाद का संपूर्ण समाधान हो पाता है।