राहुल की सजा पर सियासी घमासान

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विपक्ष ने संसद से विजय चौक तक निकाला मार्च
कांग्रेस ने कानूनी व राजनीतिक लड़ाई का किया ऐलान

दिल्ली/देहरादून। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सुनाई गई 2 साल की सजा को लेकर देश की राजनीति में उफान आ गया है। समूचा विपक्ष इस फैसले को केंद्र सरकार का षड्यंत्र बताकर इसका विरोध कर रहा है। अट्ठारह विपक्षी दलों के सांसदों ने आज नई दिल्ली में इसके खिलाफ संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला। वही देशभर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। उधर उत्तराखंड की राजधानी दून में पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रीतम सिंह ने इसे भाजपा की केंद्र सरकार के इशारे पर की गई कार्यवाही बताते हुए कहा कि भाजपा राहुल गांधी को राजनीतिक हाशिए से बाहर धकेलने के लिए उनका तथा उनके परिवार का उत्पीड़न कर रही है।
नई दिल्ली में आज इस मुद्दे पर संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले तमाम विपक्षी दलों के नेताओं की एक बैठक हुई जिसमें भाजपा पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए इसका विरोध करने का फैसला लिया गया। विपक्षी नेताओं ने इसके विरोध में संसद से विजय चौक तक मार्च किया। विपक्ष के बहिष्कार के कारण आज भी संसद की कार्यवाही ठप रही और लोकसभा की कार्रवाई को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। उधर आज 14 विपक्षी दलों द्वारा ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय संस्थाओं का दुरुपयोग के मुद्दे को लेकर देश की सर्वाेच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है। विपक्ष की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट इन संस्थाओं द्वारा की जाने वाली छापेमारी और गिरफ्तारी के लिए नियम कानून तय करें।
दरअसल राहुल गांधी की सजा के इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है कि यह लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के मामले तक पहुंच गया है। विपक्ष द्वारा जहां सत्तापक्ष पर तानाशाही और विद्वेष की भावना से राजनीति करने के आरोप लगाए जा रहे हैं और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जा रहे हैं वहीं सत्ता पक्ष द्वारा विपक्ष पर न्यायपालिका के न्याय को न मानने का आरोप लगाया जा रहा है।
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि भाजपा विपक्ष विहीन सत्ता चाहती है। यही कारण है कि वह कभी लंदन में राहुल के बयान को लेकर तो कभी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए गए बयानों को लेकर या फिर ईडी और सीबीआई से लंबी पूछताछ के जरिए उन्हें परेशान कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि यह राहुल गांधी की सजा का मुद्दा नहीं है अपितु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा है। भाजपा का प्रयास है कि वह राहुल गांधी को राजनीतिक सदस्यता को समाप्त करा कर उन्हें राजनीति से बाहर कर दे क्योंकि एक मात्र राहुल गांधी ही है जो भाजपा को जवाब देने में सक्षम हैं। लेकिन कांग्रेस भाजपा की इस मंशा को पूरा नहीं होने देगी तथा इसके लिए कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी।

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