28 जनवरी को हल्द्वानी में विशाल मूल निवास स्वाभिमान महारैली आयोजित

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देहरादून। मूल निवास—भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की बैठक में कई अहम प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में पचास से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस मौके पर आंदोलन की अग्रिम रणनीति पर चर्चा की गई है। साथ ही 28 जनवरी को हल्द्वानी मेें विशाल मूल निवास स्वाभिमान महारैली का आयोजन करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
शहीद स्मारक (कचहरी देहरादून) में आयोजित बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि मूल निवास—भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की टीम राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों और उत्तराखंड की महान विभूतियों के गांव जाकर उनके आंगन की मिटृी को कलश में एकत्रित कर शहीद स्मारक लाएगी। जिस दिन हमारी मांगें पूरी होंगी, उस दिन हरिद्वार गंगा में कलश विसर्जित किया जाएगा। इसके अलावा ड्राफ्टिंग कमेटी, प्रचार—प्रसार समिति और वित्त नियंत्रण कमेटी के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया। संगठन को मजबूत करने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटियों का गठन करने पर सहमति बनी। साथ ही 15 जनवरी को बागेश्वर के सरयू नदी में स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रवाहित किये जायेंगे तथा भू कानून की प्रतियां फाड़ी जायेंगी और इन्हें भी सरयू नदी में प्रवाहित किया जाएगा। इसके बाद 28 जनवरी को हल्द्वानी में एक विशाल मूल निवास स्वाभिमान महारैली करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
इस बैठक में वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष नेगी द्वारा अंकिता हत्याकांड को प्रखर रूप से उठाये जाने पर सरकार द्वारा उनका उत्पीड़न किये जाने का समिति ने घोर भर्त्सना की और निंदा प्रस्ताव पारित किया। बैठक में भू कानून के ड्राफ्ट में चकबंदी के प्रावधान को भी शामिल करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ। बैठक में मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि लड़ाई लंबी है। हमें आपस में नहीं व्यवस्था के खिलाफ लड़ना है। हरेक व्यत्तिQ को मूल निवास और सशक्त भू कानून के आंदोलन से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता एक बड़े आंदोलन की ओर बढ़ रही है। सरकार को जन भावनाओं का सम्मान करते हुए मांगें मान लेनी चाहिए। संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि युवाओं और महिलाओं को आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में भी लोगों से संपर्क कर आंदोलन को गति दी जा रही है। इस मौके पर पहाड़ी स्वाभिमान सेना के संरक्षक आशुतोष नेगी ने कहा कि हमारे अनुसूचित जाति के लोगों को मूल निवास का सबसे अधिक लाभ मिलेगा। उनके हक को भी बाहर के लोग मार रहे हैं।
कृषक बागवान उघमी संगठन के महामंत्री दीपक करगेती एवं समन्वय समिति के सदस्य दीपक ढोंडियाल ने चकबंदी लागू करने पर जोर दिया और कहा कि जमीन प्रबंधन के मिस मैनेजमेंट से आम लोगों को नुकसान हो रहा है। कहा कि जल, जंगल, जमीन और अन्य तरह के सभी संसाधनों पर मूल निवासियों का पहला हक होना चाहिए।

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