जिला आबकारी अधिकारी ने माना खामियां हैंए सुधारने का दिया भरोसा
देहरादून। राजधानी दून सहित पूरे राज्य में शराब के शौकीन ओवर रेटिंग से परेशान हैं। जबकि आबकारी विभाग के अधिकारी इस समस्या पर सिर्फ यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उन्हें अगर कोई शिकायत मिलती है तो वह ऐसे शराब के ठेकों के खिलाफ चालान की कार्रवाई करते हैं।
राजधानी दून के अधिकांश शराब के ठेकों पर पांचख्नदस रूपये की ओवर रेटिंग आम बात है। आमतौर पर लोग इस पांचख्नदस रूपये की ओवर रेटिंग को लेकर दुकानदारों से कुछ कहते तक नहीं है और कुछ लोग कहते भी हैं तो दुकान के सेल्समैन अभद्रता पर उतारू हो जाते हैं। सवाल यह है कि ठेकों पर इस ओवर रेटिंग का कारण क्या है और कैसे इसे रोका जा सकता है
पहले सवाल का जवाब यह है कि शराब के ठेकों पर ठेकेदारों द्वारा कर्मचारी सेल्स के नाम के लिए रखे जाते हैं उनमें से अधिकांश को वेतन पर नहीं रखा जाता है या फिर उनका वेतन इतना कम होता है कि उसमें वह दो वक्त का खाना भी नहीं खा सकते हैं। अक्सर यह मान लिया जाता है कि शराब की दुकानों पर सेल्स का काम करने वाले ऊपर से काफी कमाई कर लेते हैं। यह कमाई कहां से होती हैघ् इसका जवाब ओवर रेटिंग ही है। जब तक इन कर्मचारियों का ठीकख्नठाक वेतन तय नहीं होगा तब तक इस ओवर रेटिंग को नहीं रोका जा सकता है।
ओवर रेटिंग का दूसरा बड़ा कारण मुफ्त खोरों का दबाव। चाहे यह दबाव नेतागिरी का हो या प्रेस और पुलिस का। जो ठेकों को पर्चियां लिख कर देते हैं कि उस ठेके से जाकर एक या दो बोतल ले लेना। ठेकेदारों की मजबूरी है कि उन्हें कुछ प्रभावशाली लोगों को ओब्लाइज करने के लिए मुफ्त में बोतल देनी पड़ती है। इस नुकसान की भरपाई ठेकेदारों द्वारा ओवर रेटिंग से ही की जाती है। शराब की ओवर रेटिंग का तीसरा बड़ा कारण है नेता और आबकारी विभाग के कर्मचारी ठेकों पर अपने लोगों को नौकरी पर रखवा देते हैं। जिसके कारण विभाग कार्यवाही करने से बचता है।
इस बाबत जब ट्टदून वैली मेलष्ठ ने जिला आबकारी अधिकारी रमेश बंगवाल से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि ओवर रेटिंग व ठेकों पर सेल्समैन की अभद्रता के मामलों की शिकायतें आती रहती हैं साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह ऐसी शिकायतें मिलने पर दुकानों के चालान भी करते हैं। उनसे जब शिकायत के लिए दुकानों पर अधिकारियों के नंबर तक नहीं लिखे जाने की बात कही तो उन्होंने कहा कि यह जरूरी है अगर किसी दुकान पर नंबर नहीं लिखे हैं तो वह इस मामले को देखेंगे। लेकिन सवाल यह है कि सिर्फ चालान व देखने भर से क्या ओवर रेटिंग रोकी जा सकती है।