सेना,एनडीआरएफ व वन विभाग काबू पाने में विफल
मामला सुप्रीम कोर्ट में, सुनवाई कल
बीते 24 घंटे में 20 से अधिक घटनाए
जनधन व पर्यावरण को भारी नुकसान
वन्य जीवों की जान को खतरा बढ़ा
देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग अब इतनी गंभीर चुनौती बन चुकी है कि शासन—प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करने और सेना से लेकर एनडीआरएफ की मदद लेने के बावजूद भी इस आग पर काबू पाया जाना संभव होता नहीं दिख रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश के जगंलों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है बीते 24 घंटे की बात करें तो प्रदेश में 20 नई आग की घटनाएं सामने आई है।
बीते साल नवंबर से लेकर अब तक राज्य में 920 से अधिक वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई जिसमें 1200 हेक्टेयर जंगल जल चुका है जिससे करोड़ों की वन संपदा का तो नुकसान हुआ ही है अब तक आधा दर्जन से अधिक लोगों की जाने जा चुकी है। पर्यावरण को और वन्यजीवों को इससे कितना नुकसान हो चुका है इसका आकलन नहीं लगाया जा सकता। वनों में लगी इस आग का पर्यावरण पर अत्यंत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने के साथ—साथ तापमान में हो रही वृद्धि के कारण ग्लेशियरों पर पिघलने और टूटने का खतरा भी मंडरा रहा है। जंगल की आग से अपनी जान की सुरक्षा न कर पा रहे जंगली जानवर या तो जलकर मर रहे हैं या फिर आबादी क्षेत्र की ओर भाग रहे हैं।
बीते कल राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों के साथ बैठक के बाद तमाम सुरक्षा उपायों को मजबूत करने से लेकर जंगलों में आग लगाने वालों से सख्ती से निपटने और उन पर गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। वहीं सेना के हेलीकॉप्टरों से लेकर एनडीआरएफ के साथ तमाम विभागों को इस चुनौती से पार पाने के लिए लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने आग बुझाने के लिए सभी जिलाधिकारियों को 5 करोड़ का बजट भी जारी किया गया है मगर इस आग की चुनौती से निपट पाना संभव नहीं हो पा रहा है।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है तथा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कल क्या दिशा निर्देश जारी करता है कल ही पता चल सकेगा। मुख्यमंत्री धामी बीते एक सप्ताह से कई बार यह कह चुके हैं कि वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं सभी विकल्पों पर काम किया जा रहा है मगर धरातल में यह जंगल की आग बुझने की बजाय बढ़ती ही जा रही है तथा यह जनजीवन पर भी भारी पड़ रही है। जिसे लेकर पूरे राज्य में हाहाकार मचा हुआ है।