लोकसभा चुनाव 2024 में रहेगी अहम भूमिका
हरिद्वार सीट से उतर सकते हैं मैदान में
नई दिल्ली/देहरादून। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की कमान संभालते ही नई कार्यकारिणी के गठन होने तक अपनी 47 सदस्यीय संचालन समिति की घोषणा कर दी गई जो पार्टी के सभी कामकाज को देखेगी। खास बात यह है कि इस संचालन समिति में जहां गांधी परिवार को तवज्जो दिया गया है वहीं उत्तराखंड से एकमात्र हरीश रावत को स्थान दिया जाना यह बताता है कि उनका रुतबा पार्टी में आज भी उतना ही है जितना पहले था।
भले ही समय के साथ कुछ नतीजे बदले हो और आज काग्रेस की कमान राहुल गांधी और सोनिया गांधी की जगह मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ में आ गई हो लेकिन जिन नेताओं का कद पहले बड़ा था उनकी आज भी वही हैसियत है। हरीश रावत पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के समय में भी राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रह चुके हैं। अब नए अध्यक्ष खड़गे द्वारा जो संचालन समिति बनाई गई है उसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नामों के साथ हरीश रावत का नाम 11वें स्थान पर होना यह बताता है कि नए अध्यक्ष खड़गे के लिए भी हरीश रावत उतने ही जरूरी है जितना पहले थे।
भले ही नवनिर्वाचित अध्यक्ष खड़गे द्वारा कांग्रेस पदाधिकारियों में 50 फीसदी सदस्य 50 वर्ष से कम आयु के होने की बात कही गई है, लेकिन उनके द्वारा उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे बुजुर्गवार नेता हरीश रावत पर भरोसा जताया जाना यह बताता है कि 2024 के आम चुनाव में उनकी क्या भूमिका रहने वाली है। हरीश रावत भले ही अब तक लोकसभा चुनाव न लड़ने की बात करते आए हो लेकिन अब पार्टी उन्हें इस चुनाव में हरिद्वार सीट से न सिर्फ चुनाव मैदान में उतारने जा रही है अपितु कौन सा प्रत्याशी कहां से चुनाव लड़ेगा, किसे टिकट मिलेगा और किसे नहीं मिलेगा इस फैसले में हरीश रावत की भूमिका सबसे अहम रहने वाली है। भले ही अभी 2024 का चुनाव दूर सही लेकिन जिस तरह से कांग्रेस नेताओं द्वारा बिसात बिछाई जा रही है यह भी छिपा नहीं है। डॉ हरक सिंह हरिद्वार या कोटद्वार से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं उनकी यह इच्छा कब पूरी होगी या नहीं होगी समय बताएगा? वही प्रीतम सिंह जो यह कह रहे हैं कि वह चकराता से विधायक है उनका लोकसभा चुनाव लड़ने का क्या औचित्य है? इसके निहितार्थ भी समझे जा सकते हैं। कुल मिलाकर हरीश रावत का संचालन समिति में शामिल होना यह जरूर बताता है कि उनका वजूद तमाम असफलताओं के बावजूद बरकरार है।