आज किसी भी समय आ सकती है खुशखबरी

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  • रुकावटें दूर, फिर से शुरू किया गया ड्रिलिंग का काम
  • सिर्फ 10 मीटर की दूरी बाकी, श्रमिकों का हौसला भी बुलंद
    उत्तरकाशी। सिलक्यारा में बीते 13 दिनों से देश और दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू अभियान चल रहा है। बीते तीन दिनों से हर रोज बनती बिगड़ती संभावनाओं के बीच जारी इस अभियान में आने वाली रूकावटों के बीच आज फिर रेस्क्यू अभियान का नेतृत्व कर रहे भास्कर खुल्बे ने कहा है कि आज किसी भी वक्त इसे पूरा किया जा सकता है और 13 दिनों से सुरंग में फंसे लोगों को बाहर लाया जा सकता है।
    उल्लेखनीय है कि बीते कल जब आगर मशीन ने ड्रिलिंग का काम शुरू किया था तो उसके एक सवा घंटे बाद ही मलबे में मोटा आयरन राड आने से मशीन के ब्लेड के साथ ड्रिल किए जाने वाले अग्रिम पाइप के हिस्से को भी मोड़ दिया गया था, जिसके कारण काम आगे नहीं बढ़ सका। आज इस अग्रिम पाइप का कुछ हिस्सा जो क्षतिग्रस्त हो गया उसे काट कर अलग कर दिया गया है तथा मलवे में आए आयरन राड को निकाल दिया गया है। बीती रात आगर मशीन का प्लेटफार्म भी हिल गया जिसका रात ही मरम्मत का काम किया गया।
    उन्होंने मीडिया कर्मियोंं को जानकारी दी कि जो अड़चन कल रात सामने आई थी उन सभी को दूर कर लिया गया है उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आगर मशीन में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है और अब कुछ ही देर में फिर ड्रिलिंग और पाइप पुलिंग का काम शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि सुरंग में भरे मलबे में अब 5 मीटर तक कोई ठोस राड या आयरन नहीं है। इसकी पुष्टि सर्वे टीम द्वारा की गई है। उन्होंने कहा कि अभी हमें कम से कम 10—12 मीटर आगे जाना है। और इसके लिए दो से तीन पाइप ड्रिल किए जाने की जरूरत है। लेकिन रास्ते में अगर कोई व्यवधान नहीं आया तो इसे आज शाम या देर रात तक पूरा किया जा सकता है।
    उधर केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह ने भी आज एक बार फिर इंटरनल साइड पर जाकर रेस्क्यू टीमों से वर्तमान हालात और कार्य प्रगति के बारे में जानकारी ली। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा रेस्क्यू अभियान की पल—पल की रिपोर्ट ली जा रही है। उन्होंने आज भी अंदर फंसे लोगों से बात की तथा उनका हाल जाना। श्रमिकों को खाना और उनकी जरूरत का सामान लगातार मुहैया कराया जा रहा है। उनका कहना है कि उनका मनोबल ऊंचा है और कोई किसी तरह की दिक्कत नहीं है। क्योंकि उन्हें भी यह पता है कि उन्हें बाहर निकालने के लिए कितना रेस्क्यू अभियान चल रहा है। उनका कहना भी यही है कि आप बाहर का काम करते रहें और अगर जरूरत पड़ी तो थोड़ा बहुत काम वह अंदर से करने को तैयार हैं।

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