कोल्हापुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का आज 2 मई को निधन हो गया। उन्होंने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 89 की उम्र में अंतिम सांस ली। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे उनके बेटे ने बताया कि आज दोपहर 2 बजे के बाद कोल्हापुर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। वो महात्मा गांधी के दूसरे बेटे मणिलाल के पुत्र थे।उनका जन्म 14 अप्रैल 1934 को दक्षिण अप्रीका के डरबन में हुआ था। वह अपने दादा राष्ट्रपिता गांधी को अपना प्रेरणास्रोत मनाते थे। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलने का उन्होंने संकल्प लिया था। वे राइटर और एक्टिविस्ट के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने अपने दादा-दादी के जीवन पर कई किताबें लिखी है। जिनमें से कस्तुरबा, द फॉरगॉटन वुमन, द गिफ्ट ऑफ एंगर, ग्रैंडफादर गांधी’, जैसी कई किताबें काफी फेमस है।
अरूणगांधीडॉटनेट वेबसाइट के एक लेख के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में परवरिश के समय में उनको काफी रंगभेद के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। वहां के लोग अक्सर उनके रंग के लेकर उनका मजाक उड़ाते थे। उसके बावजूद भी उन्होंने अपने दादा की तरह की अंहिसा को अपना हाथियार। और उसी के बल पर वहां के लोगों के दिल में अपने लिए अलग स्थान बनाया। उनका कहना था वो अपने दादा की सीख पर अपना पूरा जीवन जीया है। अरुण गांधी ने 30 सालों तक पत्रकारिता भी है। उनकी पत्नी सुनंदा एक सोशल वर्कर है। जिन्होंने महाराष्ट्र में कई बच्चों का पालन पोषण किया है। वहीं उनके बेटे तुषार गांधी भी लेखन की दुनिया में सक्रिय है। हाल में ही तुषार गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को जिम्मेदार ठहाराया था। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के साथ खड़े होने का भी वादा किया था।