कौन घोल रहा सांप्रदायिकता जहर?

0
72


क्या कुछ असामाजिक तत्व और राजनीतिक दल देश के सामाजिक सौहार्द्ध और आपसी भाईचारे को छिन्न—भिन्न करना चाहते हैं और देश में सांप्रदायिक टकराव व तनाव का माहौल पैदा करने की कोशिशें कर रहे हैं? बीते कुछ समय से देश के तमाम हिस्सों से आने वाली खबरें तो यही तस्दीक करती हैं। महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक और उत्तराखंड से लेकर हिमाचल तक कोई राज्य इससे अछूता नहीं है, मामले चाहे बुलडोजर की राजनीति से जुड़े हो जिसे लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक समुदाय विशेष के खिलाफ बुलडोजर एक्शन को लेकर मामला देश की सर्वाेच्च अदालत तक पहुंचा है या फिर एक दूसरे समुदाय की लड़कियों के साथ छेड़छाड़ किए जाने का हो अथवा अतिक्रमण कर बनाये गये धार्मिक स्थलों का। घूम फिर कर हर एक मामला हिंदू—मुसलमानों के बीच तकरार और टकराव से ही जाकर जुड़ जाता है। अभी कावड़ मेले के दौरान दुकानों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर उनके मालिक का नाम लिखे जाने को लेकर भी जो लंबा विवाद चला था उससे हम सभी अच्छे से वाकिफ है। इसके बाद एक मुस्लिम दुकानदार का जूस में मूत्र मिलने और रोटियों पर थूकने के वीडियो भी वायरल हुए थे, निश्चित तौर पर इस तरह की कोई हरकत अगर किसी संप्रदाय विशेष की पवित्रता के साथ खिलवाड़ किए जाने की, की जाती हो तो समाज में आक्रोश स्वाभाविक ही है। यही नहीं अभी हाल ही में उड़ीसा के तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद की अपवित्रता का मामला चर्चाओं के केंद्र में रहा था इसके बाद अब उत्तराखंड के सभी चार धामों और तमाम अन्य मंदिरों के प्रसाद की जांच करने के आदेश दिए गए। अभी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के बाद टिहरी के कुछ गांवों से बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक के नोटिस बोर्ड लगाने का मामला काफी चर्चाओं में रहा था। इसके बाद पूरे राज्य में सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में इस तरह की तमाम घटनाएं सामने आने के बाद शासन से लेकर प्रशासन तक चौकन्ना है। क्योंकि लड़कियों व महिलाओं के साथ छेड़छाड़ व यौन शोषण के मामले थम ही नहीं रहे थे। बीते कल रात दून के रेलवे स्टेशन पर अलग—अलग सामुदायिक के लड़के व लड़की के साथ पाये जाने पर इतना बड़ा बवाल हो गया कि दोनों समुदाय पत्थरबाजी व हिंसा पर उतारू हो गए। कोई एक दो नहीं अनगिनत इस तरह की घटनाएं सिलसिलेवार सामने आ रही है जो उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव का माहौल तैयार कर रही है। जो आने वाले भविष्य के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है। ऐसी घटनाओं के पीछे क्या कारण है तथा इन्हें किस तरह से प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है शासन—प्रशासन को इस पर गंभीरता से गौर करने की जरूरत है। देश में जिस तरह के सांप्रदायिक तनाव का माहौल तैयार हो रहा है उस पर लगाम लगाया जाना जरूरी है। आरोपी या दोषी भले ही किसी भी जाति धर्म और संप्रदाय का क्यों न हो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए यही नहीं इस तरह की घटनाओं पर की जाने वाली राजनीति पर भी कड़ाई से रोक लगाने की जरूरत है। किसी भी जाति—धर्म या संप्रदाय को किसी दूसरे की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि संविधान सभी को बराबर का हक देता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here