चार धाम यात्रा को शुरू हुए 15 दिनों से भी अधिक समय बीत चुका है लेकिन उत्तराखंड का शासन—प्रशासन अभी तक यात्रा के लिए कोई सुस्पष्ट नियमावली तय नहीं कर सका है और उसे हर दिन यात्रा के लिए नए नियम कानून बनाने पर विवश होना पड़ रहा है खास बात यह है कि सरकार के इस रवैये के कारण चारधाम यात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की इससे बड़ी विफलता का कोई सबूत नहीं हो सकता है कि सरकार की गलतियों के कारण हजारों श्रद्धालुओं को बिना दर्शन किए वापस लौटना पड़ रहा है और जो किसी तरह धामो तक पहुंच भी रहे हैं तो उन्हें भारी भीड़ के कारण न तो ठीक से दर्शन हो पा रहे हैं और न उनके खान—पान और ठहरने की कोई उचित व्यवस्था हो पा रही है। यह अव्यवस्थाएं श्रद्धालुओं की जान पर भारी पड़ रही हैं और अब तक 40—45 यात्रियों की मौत हो चुकी है। अगर सरकार ने यात्रा की समुचित व्यवस्था की होती तो न तो उसे आए दिन यात्रा नियमों में परिवर्तन की जरूरत पड़ती न यात्रियों को अनावश्यक रूप से परेशान होना पड़ रहा होता। अब भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा ऑफलाइन और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एक सप्ताह के लिए बंद कर दिए गए हैं सरकार ने क्या इसकी पूर्व सूचना किसी को दी? सैकड़ों व हजारों किलोमीटर का सफर कर हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचे यह हजारों यात्री अब क्या करें? इसका कोई जवाब सत्ता में बैठे लोगों के पास नहीं है। यात्रा पर आने वाला हर यात्री एक निश्चित अवधि का अवकाश लेकर या अपना काम का छोड़कर यात्रा पर आता है। अब इन यात्रियों के पास कोई विकल्प नहीं है या तो वह एक सप्ताह हरिद्वार व ऋषिकेश में ही पड़े रहे या फिर वापस घर लौट जाएं? अगर यह यात्री एक सप्ताह यहां रुके भी रहते हैं तब भी इसकी क्या गारंटी है कि उनका रजिस्ट्रेशन हो ही जाएगा और यात्रा पर वह जा सकेंगे। जैसे हालात हैं उसमें कल सरकार इस अवधि को एक—दो हफ्ते और बढ़ा सकती है या फिर कोई अन्य नया फरमान भी जारी कर सकती है। चारों धामों में अब तक 7 लाख से अधिक यात्री पहुंच चुके हैं जो इन धामों में ठहरने की कैपेसिटी से 2 गुना अधिक है। ऐसे में बारिश, बर्फबारी व कड़ाके की सर्दी में इन यात्रियों को किस—किस तरह की दिक्कतें उठानी पड़ रही है होगी इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री अब यह अपील कर रहे हैं जो लोग पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं है वह यात्रा पर न आए। सरकार ने पहले ही हेल्थ फिटनेस रिपोर्ट लेकर आने का नियम क्यों नहीं बनाया? यात्रा इस बार ऐतिहासिक रहेगी, सुरक्षित और सुगम यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई। बिना रोक तो सभी यात्रा पर आ सकते हैं जैसी रटी रटाई बातें करने वाले नेताओं को अब मुसीबत में फंसे यात्रियों की समस्याओं का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है और तो और अब पहाड़ पर पेट्रोल डीजल से अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तक सुचारू ढंग से नहीं हो पा रही है वहीं ट्रैवल एजेंट नियम कानूनों को एक तरफ रखकर यात्रियों से मनमानी वसूली कर रहे हैं और उन्हें यात्रा करा रहे हैं। यात्रा व्यवस्थाएं पूरी तरह से चौपट दिख रही हैं और श्रद्धा का सैलाब थम नहीं रहा है ऐसे में यह यात्रा अब राम भरोसे ही चल रही है।