चारधाम यात्राः कन्फ्यूज्ड सरकार

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ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन जारीः जावलकर
कल की थी एक सप्ताह बंद रहने की घोषणा
सरकार के रवैये से यात्री फंसे परेशानी में

देहरादून। राज्य में चल रही चार धाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर सरकार इस कदर कंफ्यूज हो चुकी है कि उसे खुद यह समझ नहीं आ रहा है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। बीते कल चारों धामों में बुकिंग फुल होने के कारण ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण पर एक सप्ताह तक रोक लगाए जाने की घोषणा के बाद आज फिर कहा गया है कि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद नहीं किए जाएंगे। तत्काल यात्रा पर जाने वाले यात्री ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर यात्रा पर जा सकते हैं।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के हवाले से आज इस आशय की जानकारी देते हुए कहा गया है कि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद नहीं किए गए हैं हरिद्वार ऋषिकेश सहित 20 स्थानों पर यात्री तत्काल ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। पहले से चल रहे इन रजिस्ट्रेशन कार्यालयों को बंद नहीं किया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीते कल उत्तराखंड विकास परिषद के हवाले से दी गई खबर के अनुसार ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन एक सप्ताह के लिए बंद रखे जाने की जानकारी दी गई थी जो अखबारों की हैडलाइन बनी थी।
यह कोई पहला मर्तबा नहीं है यात्रा के पहले दिन से ही यात्रा की नियमावली को लेकर तमाम तरह के कन्फ्यूजन पैदा किए जाते रहे हैं। सरकार ने पहले कहा था कि किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है न कोई कोरोना जांच प्रमाणपत्र या वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट चाहिए आप बिना रोक टोक यात्रा पर आ सकते हैं। लेकिन जब धामों में भीड़ उमड़ने लगी और क्षमता से अधिक यात्री धाम पहुंचने लगे तथा श्रद्धालुओं की मौतों की खबरें आने लगी तो सरकार के हाथ पांव फूल गए। पीएमओ के द्वारा एनडीआरएफ और आईटीबीपी की तैनाती के आदेश हुए तो सरकार के कान खड़े हुए यात्रा शुरू होने के एक सप्ताह बाद स्वास्थ्य विभाग ने अपनी एडवाइजरी जारी की कि अब सीएम फिजिकली फिट लोगों के ही यात्रा पर आने की बात कर रहे हैं। यही नहीं पर्यटन मंत्री यात्रा की रफ्तार धीमी करने का सुझाव दे रहे है तो कभी महीने भर की बुकिंग फुल होने की बात कहकर ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद करने की बात कही जाती रही है तो कभी बिना रजिस्ट्रेशन नो एंट्री का कानून बनाया जाता है। फिर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद न करने की घोषणा पर्यटन सचिव करते हैं। अगर यह तमाशा नहीं है तो और क्या है। सच यह है कि अव्यवस्थाओं ने शासन—प्रशासन को इतना कंफ्यूज कर दिया है कि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें? सब अपना अपना राग अलाप रहे हैं और चार धाम यात्रा बस राम भरोसे ही चल रही है। जिसे लेकर विपक्ष भी हमलावर है।

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