दिल्ली और पुरोला उदाहरण भर

0
231


भले ही कुछ लोग यह सोचते हो कि लव जिहाद ऑर लैंड जिहाद जैसे शब्दों को कुछ राजनीतिक लोगों द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए गढ़ा गया है लेकिन देश की फिजाओं में सांप्रदायिकता और अलगाव का जहर घोलने वाले यह मुद्दे हवा—हवाई भी नहीं है देश की राजधानी दिल्ली से लेकर देवभूमि तक तमाम राज्यों में आए दिन इस तरह की वारदातें इस बात की गवाह है कि देश में कुछ न कुछ तो ऐसा चल रहा है जो नाकाबिले बर्दाश्त है। अभी 2 दिन पूर्व दिल्ली में एक नाबालिग हिंदू लड़की की एक गैर हिंदू समुदाय के युवक द्वारा सरेआम सड़क पर चाकू से गोदकर निर्मम हत्या कर दी गई। इस लड़की पर किए गए 21 चाकू के वार और फिर पत्थर से उसे कुचल—कुचल कर मारा जाना इस घटना की क्रूरतम हदों को दर्शाता है। इससे पूर्व अभी दिल्ली में ही एक श्रद्धा नाम की लड़की की न सिर्फ नृशंस हत्या कर दी गई बल्कि उसके शरीर के टुकड़े—टुकड़े कर जंगल में फेंकने की घटना सामने आई थी। अभी चंद रोज पहले देवभूमि के पुरोला में लोगों ने गैर हिंदू समुदाय के लोगों को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था इन युवकों पर एक नाबालिग छात्रा को भगाकर ले जाने का असफल प्रयास करने का आरोप था। इस घटना को लेकर क्षेत्र वासियों में इस कदर आक्रोश है कि वह पुरोला में रहकर व्यवसाय करने वाले सभी गैर हिन्दू समुदाय के लोगों को यहां से भगाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। बीते रविवार 42 ऐसे लोग रातों—रात शहर छोड़कर भाग गए हैं। एक बात बड़ी साफ है कि समाज में गंदगी फैलाने वाले लोग चाहे वह कहीं के भी हो और किसी भी समुदाय विशेष के हो उन्हें कोई भी सभ्य समाज कतई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता है। अगर इन 42 छोटे बड़े बड़े व्यवसायियों के समुदाय का आचरण अच्छा रहा होता तो उन्हें अपना कारोबार छोड़कर भागने की नौबत नहीं आती। कहा जाता है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है भले ही हर समुदाय में सब लोग खराब न हो लेकिन कुछ लोगों की खराबी भी कभी—कभी पूरे समुदाय पर भारी पड़ जाती है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री जिस जनसांख्यीय असंतुलन की बात करते हुए लैंड जिहाद और लव जिहाद जैसी घटनाओं की आड़ में देवभूमि की संस्कृति बिगाड़ने वालों से सख्ती से निपटने की बात करते हैं या उनके खिलाफ अभियान छेड़ते हैं तो उनके इन प्रयासों को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। राज्य में धार्मिक संरचनाओं की आड़ में किए गए अतिक्रमण पर जो बुलडोजर की कार्यवाही की जा रही है वह इसलिए जरूरी है क्योंकि इसकी आड़ में गलत कामों को अंजाम देने की मंशा से इनकार नहीं किया जा सकता है। दिल्ली और पुरोला की यह घटनाएं तो महज एक उदाहरण भर है तथा इन सभी घटनाओं के आरोपी जेल पहुंचा दिए गए और उनके खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं। कानून अपना काम करेगा ही लेकिन इन समस्याओं से निपटने के लिए सामाजिक जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है। दिल्ली में साक्षी की हत्या होते हुए लोग देखते रहे और मूकदर्शक बने रहे ऐसे समाज की हिफाजत भला कौन कर सकता है यह कायरता है और निंदनीय है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here