राजनीति का विद्रुप चेहरा

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बीते कल एमसीडी की स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव के दौरान जिस तरह आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्ज़दों के बीच लात—घूंसे और जूते—चप्पल चले उसे सभी देष्ठावासियों ने टीवी पर देखा। दिल्ली के पार्ज़द जब यह सब कर रहे थे उन्हें इस बात की जानकारी थी कि उनकी इस हरकत का लाइव टेलीकास्ट हो रहा है। नवनिर्वाचित दिल्ली की मेयर को उनके सुरक्षा गार्ड द्वारा जैसे—तैसे सुरक्षित सदन से बाहर निकाला गया। धक्का—मुक्की में वह भी गिर गई और अपनी जान बचाकर भागती दिखी। एक वष्टद्ध पार्ज़द बेहोष्ठा होकर गिर गए जिनको जैसे तैसे होष्ठा में लाया गया। महिला पार्ज़द जहां एक दूसरे को बाल पकड़कर घसीट रही थी वही कुछ पुरुज़ पार्ज़द भी महिला पार्ज़दों पर थप्पड़ और लात—घूंसे बरसा रहे थे स्टेंंडिंग कमेटी का यह चुनाव इससे पहले तीन बार विवाद व हंगामे के कारण टाला जा चुका था कल चौथे प्रयास में चुनाव हुआ भी तो एक वोट को लेकर आप और भाजपा के पार्ज़द मारपीट और हिंसा पर उतारू हो गए। अंततः यह चुनाव भी रद्द घोज़ित कर दिया गया और अब 27 फरवरी को नई तारीख तय की गई है। ऐसा नहीं है कि किसी सदन में इस तरह की मारपीट और हिंसा की यह कोई पहली घटना है इससे पूर्व हम यूपी और बिहार सहित देष्ठा की कई विधानसभाओं के जनप्रतिनिधियों के बीच हिंसक झड़प और फौजदारी की घटनाएं देख चुके हैं। देष्ठा की संसद में होने वाले हंगामे से भी हम सभी वाकिफ हैं। संसद और विधानसभाओं के पूरे—पूरे सत्रों को हमने हंगामे की भेंट चढ़ते देखा है। लेकिन कल दिल्ली के एमसीडी सदन में जो कुछ दिल्ली के लोगों ने देखा उसे देखकर दिल्ली के वह लोग जिन्होंने घंटो—घंटो लाइनों में खड़े होकर इन पार्ज़दों का चुनाव किया है वह इन अपने जनप्रतिनिधियों के आचरण को देखकर जरूर अपना सिर धुन रहे होंगे। कि इन पार्ज़दों से वह अपने क्षेत्र के विकास की क्या उम्मीद कर सकते हैं। दरअसल यह पहला मर्तबा है जब आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव में जीत दर्ज कर भाजपा को दिल्ली विधानसभा के बाद एमसीडी की सत्ता से भी बाहर कर दिया है और दिल्ली के महापौर पद पर कब्जा करने में सफलता हासिल की है। निष्ठिचत ही भाजपा अपनी इस हार को पचा नहीं पा रही है। एमसीडी की जो स्टेंडिंग कमेटी होती है उसकी इतनी ताकत होती है कि महापौर भी उसके फैसलों को नहीं पलट सकती और उन्हें मानने पर बाध्य होती है यही कारण है कि भाजपा ने क्रॉस वोटिंग के जरिए एमसीडी की स्टेंिडंग कमेटी पर अपने कब्जे का प्रयास किया। अब भाजपा ने आप के एक पार्ज़द को अपने पाले में खींच लिया है। 27 फरवरी को क्या होगा इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन राजनीति का जो विद्रुप चेहरा अब तक एमसीडी चुनाव में देखने को मिला है वह देष्ठा को ष्टार्मसार करने वाला ही है। जिस अन्ना आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी और उसके संस्थापक अरविंद केजरीवाल कहते थे कि राजनीति से कीचड़ को साफ करने के लिए कीचड़ में उतरना जरूरी है उन्हें भी अब इस बात का एहसास जरूर हो गया होगा कि राजनीति की इस कीचड़ को साफ करना कितना असंभव काम है। इस कीचड़ में उतर कर खुद भी वह अब इस कीचड़ का हिस्सा ही बनकर रह गए हैं। रही इस कीचड़ को साफ करने की बात उसे सौ अरविंद केजरीवाल भी साफ नहीं कर सकते हैं। भले ही देष्ठा के नेता और जनप्रतिनिधि कितनी भी संवैधानिक मर्यादाओं और ष्ठिाज़्ट आचरण की बात कर ले लेकिन आज की राजनीति का जो वास्तविक चेहरा है उसका सच यही है जो हमने कल दिल्ली में देखा।

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