भले ही मानसून से देश के तमाम सूखाग्रस्त क्षेत्रों को राहत मिली हो लेकिन मानसून के दूसरे पहलू की तस्वीरें देखकर आम आदमी बेचैन है। बात अगर उत्तराखण्ड की करें तो मानसून के आने के बाद राज्य में इतनी बारिश व बादल फटने की घटनाएं हुई है कि कई जगहों से तबाही ही तबाही की तस्वीरें सामने आ रही है। मानसूनी मौसम में बादल फटने की घटनाओं से कई स्थानों पर लोग बेघर हो गये है तथा राहत शिविरों में लोग जीवन यापन पर मजबूर है। बीते शनिवार को देहरादून व टिहरी में बादल फटने की जो घटनाएं हुई है उससे कितनी सम्पत्ति को नुकसान हुआ तथा कितनी कृषि भूमि बाढ़ व बारिश में बह गयी। फसलों को कितना नुकसान हुआ और सबसे बड़ी बात कितनी जनहानि हुई है इसका कोई सही अनुमान लगाया जाना संभव नही है। मानसून के कारण सड़कों की हालत तो खराब है ही साथ ही साथ कई पुलों व पुलियाओं के टूटने के चलते व रास्ते बह जाने के कारण आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाये जाने पर विलम्ब हो रहा है। अगस्त माह बीतने वाला है और सितम्बर शुरू होने वाला है लेकिन मानसून के तेवर जस के तस बने हुए है। आपदा प्रभावित लोग बस यही दुआ कर रहे है कि जल्द से जल्द उन्हे आसमान से बरसने वाली इस मुसीबत से छुटकारा मिले और मानूसन की विदायी हो ताकि वह अपनी आने वाली जिन्दगी को किसी तरह पटरी पर ला सकें और आपदा प्रभावितों तक मदद पहुंचायी जा सके।