आत्मनिर्भर भारत का संकल्प

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2047 के भारत की जिस समृद्ध, गौरवशाली, आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र का खाका राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा आज संसद के बजट सत्र संबोधन में खींचने का प्रयास किया गया है उसे सुनकर किसी भी भारतीय को इस बात का एहसास हो सकता है कि अब वह दिन दूर नहीं है जब किसी के भी सामने किसी भी तरह की समस्या होगी। उनका कहना है कि हमारा भारत ऐसा होगा जहां कोई गरीब नहीं होगा, बेरोजगार नहीं होगा, असुरक्षित नहीं होगा न कोई अशिक्षित होगा। उनका कहना है कि अमृत काल के आगामी 25 साल भारत के नवनिर्माण का काल होगा जिसमें सबको अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करना होगा। अपने संबोधन में उन्होंने सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात करते हुए कहा कि गरीबी हटाओ अब महज एक नारा नही रहा है। वही उनका कहना है कि देश से भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है। सवाल यह है कि क्या वास्तव में देश से गरीबी को हटाया जा रहा है? अभी कोरोना कॉल में केंद्र की सरकार द्वारा देश के गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना चलाई गई थी, राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपने संबोधन में इस बात का जिक्र किया है कि सरकार की इस योजना के कारण कोई भूखा नहीं सोया और विश्व भर में सरकार की इस योजना की सराहना हो रही है। देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने वाली सरकार क्या यह बता सकती है कि जिन लोगों को मुफ्त राशन दिया गया वह 80 करोड़ गरीब लोग हैं तो फिर गरीबी कहां से मिट गई या मिट जाएगी। अभी देश की आबादी 140 करोड़ के आसपास ही है जिसमें अगर 80 करोड़ गरीब है तो इसका मतलब तो यही होता है कि गरीबी लगातार बढ़ रही है। करोड़ों लोगों को मनरेगा में मजदूरी करने की क्या जरूरत है या फिर मनरेगा जैसे कार्यक्रम चलाने की भी क्या आवश्यकता है। जिस देश में 140 करोड़ में से सिर्फ 6 करोड़ लोग ही आयकर देने वाले हो वहां गरीबी के खात्मे की बात करना क्या एक छलावा नहीं लगती है। सरकार का कहना है कि उसने 9 सालों में 3.5 करोड़ लोगों को पक्के मकान बनाकर दिए लेकिन क्या सरकार अभी भी यह बता सकती है कि देश में कितने परिवार ऐसे हैं जिनके पास अपना कोई कच्चा या पक्का घर नहीं है। देश के महानगरों में आज भी जो करोड़ों करोड़ लोग झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे हैं वह कहां से आए हैं? हर घर नल योजना के तहत सरकार ने 11 करोड़ं घरों तक तो पानी पहुंचा दिया लेकिन क्या इन नलों में पानी आ भी रहा है? आ रहा है तो कितने घरों में आ रहा है? क्या सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली 500 रूपये महीने की सम्मान राशि से किसानों की बदहाली दूर हो गई है? सरकार भ्रष्टाचार के खात्मे की बात कर रही है क्या इससे बड़ा कोई हो सकता है? सरकार ने डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था और बैंक खातों की केवाईसी कराकर अगर यह सोच लिया है कि अब अवैध लेनदेन के खिलाफ उससे बड़ा सिस्टम तैयार कर लिया है तो यह उसकी बड़ी भूल के सिवाय क्या हो सकता है। यह सच है कि सरकार ने देश में एक नई कार्य संस्कृति तैयार की है लेकिन देश से सभी समस्याएं छूमंतर होने वाली हैं यह सिर्फ भ्रम ही है। 9 साल पहले काला धन वापस लाने और अच्छे दिन आने के सपने जैसा भ्रम। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अभी बहुत काम किए जाने की जरूरत है। देश में युवा बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। गरीबी और महंगाई तथा शिक्षा अभी किसी अभिशाप से कम नहीं है।

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