धामी का चुनावी एक्शन

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इन दिनों उत्तराखंड की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फुल एक्शन में है। उनके द्वारा जनहित के तमाम मुद्दे पर तुरंत प्रभाव से निर्णय लिए जाने के साथ—साथ तमाम योजनाओं को तेज रफ्तार से दौड़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य भर में उनके ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं क्षेत्र वासियों की समस्याओं को सुना जा रहा है और उनके क्षेत्र के विकास की तमाम योजनाओं का उद्घाटन तथा शिलान्यास किया जा रहा है। ताबड़तोड़ भर्तियों के लिए विज्ञप्तियां प्रकाशित की जा रही हैं। सरकारी कर्मचारियों की मांगों पर मुहर लगाई जा रही है। अब इस बारे में कतई भी नहीं सोचा जा रहा है कि किस घोषणा और योजना पर कितना खर्च होगा और इसके लिए बजट की क्या व्यवस्था है। बीते कल हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने कर्मचारियों के प्रमोशन के मानकों में छूट देने पर मुहर लगा दी, शिथिलीकरण की नियमावली को 1 साल के लिए पुनः लागू कर दिया गया। जिसकी कर्मचारी लंबे समय से मांग कर रहे थे। 2010 में लाई गई इस नियमावली पर बनाई गई समिति की सिफारिशों के विपरीत जाकर सरकार ने यह फैसला लिया है। राज्य कर्मचारियों को केंद्रीय दरों पर अटल आयुष्मान योजना का लाभ देना भी धामी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। राज्य में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को जो साल भर में चार लाख फीस देनी होती थी उसे घटाकर अब 1 लाख 45 हजार कर दिया गया है। यही नहीं अगर यह छात्र राज्य में ही सेवा देने का बांड भरते हैं तो उन्हें सिर्फ 50 हजार सालाना ही फीस देनी होगी। महिला पोषण योजना में सप्ताह में २ दिन फल, ड्राई फूड और अंडा भी अब सरकार द्वारा दिया जाएगा। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और स्वरोजगार योजना का लाभ लेने के लिए नियमों को सरल कर दिया गया है। नदियों के और नजदीक स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति सरकार ने दे दी है। राज्य सरकार के द्वारा बीते कल भी इस कैबिनेट बैठक में दर्जन भर से अधिक लोकलुभावन फैसले लिए गए हैं। यही नहीं राज्य सरकार द्वारा अब जिस तरह से ताबड़तोड़ कैबिनेट बैठक की जा रही है और निर्णय लिए जा रहे हैं वह सिलसिला अभी यहीं थमने वाला नहीं है। यह राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने तक जारी रहेगा। बीते समय में कोरोना के मद्देनजर मुफ्त राशन की योजना तथा सहयोग तथा सम्मान राशियों का दौर भी जारी है। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल की प्रक्रिया को लेकर अधिकारी भी मुस्तैदी से काम पर लगे हुए हैं। 15 दिन के अंदर इन घोषणाओं पर अमल के आदेश अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे हैं। चुनावी दौर में किसी भी राज्य सरकार की इस तरह की सक्रियता कोई नई बात नहीं है। लेकिन काश बीते 4 सालों में पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों ने इसकी आधी भी सक्रियता दिखाई होती तो राज्य वासियों की कुछ तो समस्याएं कम हो ही सकती थी।

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